भोपाल: लघुवनोपज संघ की इकाई लघु वनोपज प्रसंस्करण केंद्र बरखेड़ा पठानी (एमएसपी पार्क) अनुभवहीन महिला अधिकारियों की पोस्टिंग विंध्या हर्बल बंद की साजिश चल रही है। यही वजह है कि एमएसपी पार्क बरखेड़ा पठानी में उत्पादित होने वाली औषधियों की क्वांटिटी और क्वालिटी में निरंतर गिरावट आ रही है। औषधि के गुणवत्ता को लेकर कई बार सवाल उठे। जांच के आदेश भी हुए किंतु महिला अधिकारी के रसूख के चलते कई जांच के आदेश डंप कर दिए जा रहे हैं। सीनियर अफसर की कमी बताकर एमएसपी पार्क के निर्माण से अब तक सबसे जूनियर और अनुभवहीन सीईओ बनाया गया।
जबकि इसके पहले तक अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक से लेकर मुख्य वन संरक्षण स्तर तक के आईएफएस अधिकारी सीईओ के पद पर पदस्थ होते रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि विभाग में सीनियर अधिकारियों का एकदम अकाल पड़ गया हो, बल्कि अनुसंधान एवं विस्तार भोपाल में पदस्थ सीसीएफ राखी नंदा को एमएसपी पार्क का सीईओ बनाया जा सकता है। या फिर किसी सीनियर एपीसीसीएफ को अतिरिक्त प्रभार दिया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि ऐसा करने पर लघु वनोपज संघ में सत्ता के दो केंद्र बिंदु स्थापित हो जाते।
ऑडिट में ढेरों कमियां..
लघुवनोपज संघ की इकाई लघु वनोपज प्रसंस्करण केंद्र बरखेड़ा पठानी “विंध्या हर्बल” नाम से आयुर्वेदिक उत्पादों का निर्माण करता आ रहा है। विगत वर्षों में केंद्र निरंतर प्रगतिशील रहा लेकिन 2 वर्षों में प्रशासनिक उदासीनता और भ्रष्ट नीतियों से केंद्र को बहुत नुक़सान हुआ। कभी भारत के 17 राज्यों में आयुर्वेदिक दवाओं को सप्लाई करने वाले केंद्र को आयुष मार्क के बिना ऑर्डर नहीं मिलेगा। आयुष मार्क के प्रथम ऑडिट में ढेरों कमियां निकलने के बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं कर रहे वन अधिकारी।
बतौर एसडीओ दागी रही बना दी गई सीईओ..
एमएसपी पार्क की सीईओ अर्चना पटेल जब सीधी में एसडीओ के पद पर पदस्थ थी तब तेंदूपते की गड़बड़ी में तत्कालीन वनबल प्रमुख यू प्रकाशम ने मध्य प्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 10 (1) में निहित प्रावधानांतर्गत उनको "परिनिन्दा" के दण्ड से दण्डित कर प्रकरण समाप्त कर दिया था। यही नहीं, यहां पदस्थ सीईओ अर्चना पटेल को न तो आयुर्वेदिक दवाई उत्पादन का ज्ञान है न ही कभी मार्केटिंग की जिम्मेदारी निभाई। यही हाल रेंजर सुनीता अहिरवार का है। दिलचस्प पहलू यह भी है कि इन नौसिखिये महिला अधिकारियों का आपसी समन्वय नहीं होने के कारण आयुष विभाग मध्य प्रदेश ने तो विंध्या हर्बल्स को ऑर्डर देना ही बंद कर दिया है।
पिछले दिनों एक छोटा सा ऑर्डर इस वित्तीय वर्ष में केवल 1.8 करोड़ का ऑर्डर मिला है। लेकिन सीईओ और रेंजर और प्रभारी एसडीओ सुनीता अहिरवार की आपसी खींचतान में उत्पादन ही शुरू नहीं हो पा रहा है। रॉ मैटेरियल और पैकेजिंग आइटम की ख़रीदी का टेंडर मार्च में होना था जो कि अभी इस माह किया है। सवाल यह है कि ऐसे में कब सप्लाई करेंगे दवाई?
पहले फूलजले और फिर एसडीओ हटे..
रेंजर और प्रभारी एसडीओ उत्पादन सुनीता अहिरवार की लापरवाही का आलम ये है कि वह अभी तक पिछले वित्तीय वर्ष का लेखा नहीं दे रही है। न तो उत्पादन कर रही है और न ही केंद्र का आयुष मार्क का सर्टिफ़िकेशन कराने का प्रयास रही है।
अहिरवार के रसूख का आलम यह है कि जब सीईओ के पद पर रहे पीएल फूलजले ने अहिरवार को नोटिस जारी करने जा रहे थे तो उन्हें तत्काल वहां से हटा दिया। फेडरेशन के एमडी के आदेश पर एमएसपी पार्क के एसडीओ मणिशंकर मिश्रा ने अहिरवार के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए दस्तावेज मांगे तब उन्हें जांच से संबंधित कागज उपलब्ध नहीं कराए गए। इसे लेकर एसडीओ मिश्रा ने एमडी विभाग ठाकुर को कई पत्र लिखें और पत्र में यह उल्लेख किया कि आपने 7 दिन के भीतर जांच कर प्रतिवेदन देने के निर्देश दिए थे किंतु दस्तावेज उपलब्ध होने के कारण मैं जांच शुरू नहीं कर पा रहा हूं। एसडीओ के पत्र को एमडी ठाकुर ने डस्टबिन में डाल दिया। जांच प्रारंभ न हो सके, इसके लिए एसडीओ मिश्रा को एमएसपी पार्क से फेडरेशन पदस्थ कर दिया।
बिल-वाउचर को लेकर टकराव..
अभी कुछ दिन पहले आई सहायक प्रबंधक रेंजर प्रियंका बाथम को मिले काम जिसमें खरीदी के बिल वाउचर और अन्य प्रबंधन को लेकर एसडीओ सुनीता अहिरवार की खींचतान शुरू हो गई है। सुनीता अहिरवार डीडीओ का हक जताने के चक्कर में सबको अपने अधीन रखना चाहती है। ऐसी स्थिति में अन्य कर्मचारी भी परेशान है। आलम ये है कि तीनों महिला अधिकारी एक ही बात को अलग-अलग तरीक़े से प्रबंध संचालक को सूचित करती है। अगर यही आलम रहा तो केंद्र को घाटे में ताला डाल कर ये अधिकारी अपने मूल विभाग में वापस चले जायेंगे।