MP सरकार पर बढ़ रहा कर्ज का बोझ, 24 तारीख को फिर से कर्ज लेने जा रही सरकार


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स्टोरी हाइलाइट्स

मध्य प्रदेश सरकार एक बार फिर कर्ज लेने जा रही है, इस बार सरकार 5000 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेने जा रही है..!!

मध्य प्रदेश सरकार एक बार फिर बाजार से 5 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेने जा रही है। राज्य सरकार रिजर्व बैंक से यह कर्ज 24 सितंबर को दो किस्तों में लेगी। सरकार को दोनों ऋणों पर साल में दो बार ब्याज देना पड़ता है। 

सरकार पहला कर्ज 2500 करोड़ रुपये का 12 साल के लिए और दूसरा 2500 करोड़ रुपये का कर्ज 19 साल के लिए ले रही है। इस वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार अब तक बाजार से 10 हजार करोड़ रुपये का कर्ज उठा चुकी है। अब तक राज्य सरकार पर करीब 4 लाख करोड़ रुपये का कर्ज हो चुका है।

मध्य प्रदेश सरकार के बजट का एक बड़ा हिस्सा वेतन-भत्तों, जनकल्याणकारी योजनाओं और बुनियादी ढांचे के विकास पर खर्च किया जाता है। जिसके चलते राज्य सरकार कर्ज लेकर धन की कमी को पूरा कर रही है। राज्य में चलने वाली लाड़ली बहना योजना पर सरकार को हर महीने 1600 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं।

विधानसभा चुनाव के दौरान शुरू की गई इस योजना के तहत प्रदेश की सवा करोड़ लाडली बहनों के खाते में प्रतिमाह 1250 रुपये की राशि जमा की जा रही है। सरकार इस योजना पर हर साल 18 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है।

जनता को कहां और कितनी सब्सिडी?

राज्य सरकार बहनों को 450 रुपये में सिलेंडर दे रही है। इस योजना से सरकार पर हर साल करीब 1 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ रहा है। प्रदेश में रियायती दरों पर बिजली उपलब्ध करायी जा रही है। सरकार 100 रुपये में 100 यूनिट बिजली और अन्य बिजली सब्सिडी पर हर साल 5500 करोड़ रुपये खर्च करती है। सरकार राज्य कर्मचारियों के वेतन और भत्तों पर बजट की बड़ी रकम खर्च करती है। कर्मचारियों की महंगाई राहत और भत्तों पर भी हर महीने एक बड़ा हिस्सा खर्च किया जाता है।

वर्ष 2023-24 में राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतन और भत्ते की लागत लगभग 82 हजार 338 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। वित्तीय प्रबंधन के कारण राज्य सरकार को समय-समय पर कई योजनाओं की धनराशि रोकनी पड़ती है। हाल ही में राज्य सरकार ने 47 विभागों की 125 योजनाओं के फंड पर रोक लगा दी। वित्त विभाग की अधिसूचना के बिना संबंधित योजनाओं से पैसा ना निकाले जाने का निर्देश दिया गया।

बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता शैलेन्द्र जैन कहते हैं, ''सरकार जो भी कर्ज ले रही है वह अपनी वित्तीय सीमा के भीतर है। रिजर्व बैंक राज्य की आर्थिक स्थिति को देखकर ही कर्ज देता है। राज्य के वित्तीय प्रबंधन को बेहतर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। हाल ही में राज्य को मजबूत करने के लिए राज्य के वित्तीय संसाधनों के लिये अनेक प्रयास किये जा रहे हैं।