मप्र में 7 साल बाद भी कैंपा प्राधिकरण का गठन नहीं, केंद्र को दिखाया ठेंगा


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स्टोरी हाइलाइट्स

केंद्र सरकार के नियमों को वन विभाग कर रहा है अनदेखी..!!

भोपाल: केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रालय ने अगस्त 2018 को सभी राज्यों में प्रतिपूरक वनीकरण कोष एवं योजना प्राधिकरण कैपा गठन के निर्देश दिए थे। 7 साल बीत जाने के बाद भी मप्र में कैंपा प्राधिकरण का गठन नहीं हो पाया। जबकि केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के आधार पर प्राधिकरण के गठन के आदेश दिए थे। यानी मप्र में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की भी हो रही है। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रालय के निर्देश पर देश के अन्य  राज्यों में कैंपा प्राधिकरण का गठन हो गया है। जबकि मप्र में अभी तक पीसीसीएफ का एक पद बचाने के लिए गठन नहीं किया गया। मौजूदा काल में राज्य कैडर में पीसीसीएफ के पद भी कम हो गए हैं। 

बावजूद इसके प्राधिकरण का गठन करने को लेकर शीर्ष अफसरों द्वारा न केवल आना-कानी की जा रही है, बल्कि मुख्य सचिव से लेकर मुख्यमंत्री तक गलत तथ्य प्रस्तुत किए जा रहे हैं। विभाग में स्थितियां है कि पीसीसीएफ कैंपा का पद हथियाने के लिए वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रहे हैं। 

अब तक जितने भी पीसीसीएफ कैंपा के पद पर पदस्थ रहे आईएफएस अफसरों की मुख्यमंत्री हाउस तक सीधी पहुंच रही है। फिलहाल मौजूदा स्थिति में पीसीसीएफ कैम्पा पद पर पीके सिंह है, जो 31 जनवरी को सेवामुक्त हो रहें हैं। 

अब तो बना दिया जाना चाहिए कैंपा प्राधिकरण..

लंबे समय तक केंद्र में अपनी प्रशासनिक क्षमता का लोहा मनवाने वाले अनुराग जैन के मुख्य सचिव बनने के बाद कैंपा प्राधिकरण के गठन की संभावनाएं बढ़ गई है। कैंपा प्राधिकरण के गठन होने पर पीसीसीएफ कैंपा का पद समाप्त हो जाएगा, क्योंकि इसमें मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) पद का प्रावधान है। इस पद पर एवीसीसीएफ स्तर के अधिकारी को ही सीईओ पदस्थ जा सकता है। 

नाथ सरकार ने नहीं दिया प्राधिकरण..

पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार के कार्यकाल bमें तत्कालीन अपर मुख्य सचिव एपी श्रीवास्तव ने केंद्र के निर्देश पर राज्य में कैथा प्राधिकरण के गठन की पहल शुरू की। प्राधिकरण के गठन की प्रक्रिया शुरू होते ही तत्कालीन पीसीसीएफ पद पर विराजे एबी गुप्ता छिंदवाड़ा की दौड़ लगा दीथी। तत्कालीन मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल ने गुप्ता की मुलाकात कमलनाथ से कराई। 

इस मुलाकात में कैंपा पीसीसीएफ गुप्ता के बाद नाथ के निर्देश पर कैंपा प्राधिकरण के गठन पर विराम लग गया। कमलनाथ के बाद शिवराज सरकार ने भी प्राधिकरण के गठन पर पहल नहीं की। इसकी वजह भी स्पष्ट थी कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपने करीबी रिश्तेदार महेंद्र सिंह धाकड़ को पीसीसीएफ कैंपा के पद पर उपकृत करना था। 

केंद्र से नहीं मिली कैंपा पीसीसीएफ की मंजूरी..

केंद्र सरकार ने कैपा पीसीसीएफ का पद अस्थाई तौर पर 3 साल के लिए स्वीकृत किया था, जिसकी मियाद जनवरी 2019 को समाप्त हो गई। यानी 2019 के बाद से अब तक पीसीसीएफ कैंपा का पद कैडर में स्वीकृत न होने के बाद भी पोस्टिंग होती चली आ रही है। अपर मुख्य सचिव वन अशोक वर्णवाल कैंपा प्राधिकरण संबंधित प्रस्ताव को मुख्यमंत्री के समक्ष मूव करना चाहिए। मौजूदा मुख्यमंत्री मोहन यादव के अधीन वन विभाग भी है। यानी सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन और केंद्र सरकार केंद्र सरकार के निर्देश के 7 साल बाद तो मप्र प्राधिकरण का गठन कर दिया जाना चाहिए।

फैक्ट फाइल..

* कैम्पा यानी प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण की स्थापना 23 अप्रैल, 2004 को हुई थी। यह पर्यावरण और वन मंत्रालय के अधीन काम करता है। 

* सर्वोच्च न्यायालय ने 30 अक्टूबर, 2002 को टीएन गोदावर्मन थिरुमुलपाद बनाम भारत संघ मामले में कैम्पा की स्थापना का आदेश दिया था।

* कैम्पा का काम, प्रतिपूरक वनरोपण गतिविधियों की निगरानी, तकनीकी सहायता, और मूल्यांकन करना है।

* कैम्पा, प्रतिपूरक वनरोपण निधि (सीएएफ़) का संरक्षक भी है। 

* सीएएफ़ अधिनियम 2016 को 3 अगस्त, 2016 को अधिनियमित किया गया था।

* सीएएफ़ नियम, 2018 को 10 अगस्त, 2018 को अधिसूचित किया गया था।

* सीएएफ़ अधिनियम और नियम 30 सितंबर, 2018 से लागू हुए।

* सीएएफ़ अधिनियम, 2016 के लागू होने के बाद, तदर्थ कैम्पा को भंग कर दिया गया और राष्ट्रीय प्राधिकरण का गठन किया गया। इसके तहत ही राज्यों में राज्य कैंपा प्राधिकरण का गठन का प्रावधान किया गया है।