बर्खास्तगी से प्रभावित प्राथमिक शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने उन्हें राहत दी है। डीपीआई कमिश्नर ने नया आदेश जारी कर प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करने के डीपीआई निदेशक के आदेश पर रोक लगा दी है।
दरअसल, डीपीआई निदेशक की ओर से 28 अगस्त को राज्य के जिला शिक्षा अधिकारियों को एक आदेश जारी किया गया था। आदेश में प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों का हवाला दिया गया है। जिसके मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2023 को आदेश जारी कर प्राथमिक शिक्षकों के लिए बीएड की डिग्री को अमान्य घोषित कर दिया।
इस संबंध में 28 जून 2018 को एनसीटीई का नोटिफिकेशन भी रद्द कर दिया गया। इसके बाद भी राज्य में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के दौरान लोक शिक्षण संचालनालय ने बीएड वाले आवेदकों को अनुमति दे दी। ऐसे डिग्री धारकों ने भर्ती परीक्षा पास कर ली और उन्हें नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिए गए। पूरे मामले में डिग्री धारकों की कोई गलती नहीं थी, क्योंकि डीपीआई भर्ती प्रक्रिया में अदालत के आदेश को स्पष्ट करना भूल गया था।
डी.एल.एड आवेदकों की अपील पर जबलपुर उच्च न्यायालय ने 11 अगस्त 2023 के बाद बीएड डिग्री हासिल करने वाले प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति को अमान्य कर दिया। हाई कोर्ट के इस आदेश के तुरंत बाद डीपीआई ने आदेश जारी कर दिया। जिसमें प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट भी मांगी गयी थी। यानी इस आदेश के बाद यह तय है कि ऐसे प्राथमिक शिक्षक जिन्होंने 11 अगस्त 2023 के बाद बीएड की डिग्री हासिल की है, उनकी नौकरी चली जायेगी।
प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति रद्द होने से राज्य भर में सैकड़ों नियोजित युवा बेरोजगार हो गये। लंबी जद्दोजहद के बाद करीब 8 महीने पहले इन युवाओं को स्कूल शिक्षा विभाग में यह नौकरी मिली। डीपीआई निदेशक के आदेश से पूरे राज्य में हंगामा मच गया। जिसके बाद मामला न सिर्फ लोक शिक्षण निदेशक कार्यालय में बल्कि शासन स्तर पर भी गरमा गया।
प्रबुद्धजनों ने हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर डीपीआई निदेशक के आदेश को भी अधिकारियों के समक्ष रखा। इसके बाद डीपीआई कमिश्नर ने मामले को अपने हाथ में ले लिया। उनके द्वारा 6 सितंबर को एक नया आदेश जारी किया गया, जिसमें डीपीआई द्वारा जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी आदेश और 4 सितंबर को उच्च न्यायालय के फैसले का जिक्र है। जिसमें हाईकोर्ट के फैसले के एक पैराग्राफ का हवाला देते हुए प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गयी है।
अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। उन्हें अपने संबंधित पदों पर प्राथमिक शिक्षकों के रूप में सेवा जारी रखने की अनुमति दी जाएगी।