डाकुओं की सूचना देने वाले मुखबिरों को अब नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी, सीएम मोहन का बड़ा फैसला!


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स्टोरी हाइलाइट्स

प्रदेश की मोहन सरकार ने अब ऐलान किया है, कि राज्य में डकैतों की जानकारी देने वाले मुखबिरों को सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी..!!

मध्य प्रदेश की मोहन सरकार लगातार बदलाव की ओर बढ़ रही है। सीएम मोहन यादव हर दिन अपने फैसलों से लोगों को चौंका रहे हैं। एक बार फिर प्रदेश की मोहन सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए अर्जुन सरकार के दौरान लिए गए फैसले को बदल दिया है।

प्रदेश की मोहन सरकार ने अब ऐलान किया है, कि राज्य में डकैतों की जानकारी देने वाले मुखबिरों को सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी। सरकार ने अब 1981 में बने इस नियम को बदल दिया है। बदले नियमों के मुताबिक अब डकैतों के बारे में जानकारी देने वाले मुखबिरों को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। 

सामान्य प्रशासन विभाग ने इस नियम को खत्म करते हुए सभी सरकारी विभागों और कमिश्नरों को नए निर्देश जारी किए हैं। अब डाकू मुखबिरों को सरकारी सेवा नहीं मिलेगी। सरकार के इस फैसले को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश भी जारी कर दिया है।

आपको बता दें कि राज्य की तत्कालीन अर्जुन सिंह सरकार में डाकुओं के बारे में सूचना देने वाले मुखबिरों को सरकारी नौकरी देने का प्रावधान था। उस समय राज्य के कई इलाकों में डाकुओं का बोलबाला था, खासकर ग्वालियर चंबल क्षेत्र में जहां डाकू सक्रिय थे। 

तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने 28 अगस्त 1981 को सामान्य प्रशासन विभाग के जरिए कलेक्टरो को परिपत्र जारी किया था कि डाकुओं की सूचना देने वाले मुखबिरों को शासकीय सेवा में नियुक्ति दी जाए। अब प्रदेश में डकैत नहीं बचे, उनका खात्मा हो चुका है। इसलिए अब 43 वर्ष पुराने परिपत्र को निरस्त कर दिया गया है।

उस समय अर्जुन सिंह सरकार ने डाकुओं पर नियंत्रण करने के लिए एक नया नियम पारित किया था, जिसके अनुसार जो कोई भी डाकुओं के बारे में जानकारी देगा, जो कोई डाकुओं को पकड़ने में पुलिस का सहयोग करेगा, उसे सरकारी नौकरी दी जाएगी, लेकिन अब मोहन सरकार ने इस नियम को समाप्त कर दिया है।