भोपाल: स्टेट फारेस्ट रेंज ऑफीसर्स (राजपत्रित) एसोसिएशन ने वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव को एक चिठ्ठी लिखकर ध्यान आकृष्ट कराया है कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक (संरक्षण) के निर्देश हैं कि वनों की सुरक्षा के लिए 31 मई के बाद किराये के वाहन नहीं लगाए जाए।
वन परिक्षेत्राधिकारियों को वन सुरक्षा एवं गश्ती कार्य हेतु आवंटित अनुबंधित किराये के वाहनों को बंद किये जाने से वन सुरक्षा के साथ साथ शासकीय कार्यों का संपादन भी प्रभावित हो रहा है। दिलचस्प तथ्य यह भी है कि जून और जुलाई में रिटायर्ड हो रहे दो शीर्ष अफसरों के पांच सितारा होटलों में कार्यशाला आयोजित कर उस करोड़ों रुपए फूंके जा रहें हैं।
स्टेट फारेस्ट रेंज ऑफीसर्स एसोसिएशन ने हॉफ श्रीवास्तव को लिखे पत्र में बताया है कि संरक्षण शाखा के पत्र क्रमांक/वन अपराध/2025-26/10-10/2279 के माध्यम से समस्त सीसीएफ, सीएफ, समस्त क्षेत्र संचालक एवं समस्त डीएफओ को प्रधान मुख्य वन संरक्षक कैम्पा के पत्र कमांक/205-26/468-11/2228 का हवाला देते हुए कैम्पा मद अन्तर्गत वर्ष 2025-26 में वन सुरक्षा हेतु किराये के गश्ती वाहनों के प्रस्ताव पर राष्ट्रीय कैम्पा द्वारा स्वीकृति नही दिये जाने पर वर्तमान में वाहन किराया हेतु राशि उपलब्ध नहीं होने के कारण 31 मई 25 के पश्चात किराये के वाहन नहीं लगाये जाने हेतु निर्देश प्रसारित किये गये हैं।
इसके चलते वन परिक्षेत्राधिकारियों को वन सुरक्षा एवं गश्ती कार्य हेतु आवंटित अनुबंधित किराये के वाहनों को बंद किये जाने से वन सुरक्षा के साथ साथ शासकीय कार्यों का संपादन भी प्रभावित हो रहा है। वहीं दूसरी ओर समय असमय एवं रात्रि में वन अपराध की सूचना प्राप्त होने पर बगैर गश्ती वाहन के अपराधों पर नियंत्रण एवं उनकी रोकथाम हेतु वन परिक्षेत्राधिकारियों के साथ साथ वन अमला स्वयं को असहज एवं असहाय महसूस कर रहा है। इस आशय की जानकारी से वन अपराधियों एवं वन माफियाओं को होने के कारण अपराध की दर में बढ़ोत्तरी होने की संभावना प्रबल हो गई हैं।
हमेशा से ही रेंजर कैडर उपेक्षित रहा..
वन परिक्षेत्राधिकारियों से गश्ती वाहन बजट अभाव में बंद किये जाने के कारण समस्त रेंज ऑफिसर हमेशा की तरह अपने कैडर को अवनत होना समझ रहे है। जैसा कि रेंजर कैडर के साथ हमेशा से होता आया है। चाहे वह अवनति ग्रेड-पे के संबंध में हो अथवा सेवा शर्तों के उन्नयन के संबंध में हो अथवा पदोन्नति के संबंध में हो अथवा बिना किसी जॉच या तथ्य को दृष्टिगत रखे बगैर तत्काल प्रभाव से निलंबन या विभागीय जाँच के संबंध में हो।
हमेशा से ही रेंजर कैडर उपेक्षित रहा है और वह उपेक्षा केवल विभाग से ही प्राप्त हुई है जिसके तहत वर्ष 1997 में वन क्षेत्रपाल को राजपत्रित घोषित किये जाने के उपरांत भी अराजपत्रित अलिपिकीय तृतीय श्रेणी के रूप में विभाग द्वारा बिना सेवा नियमों के ट्रीट किया जा रहा है।
मौज- मस्ती और कार्यशाला..
कहने को तो मध्यप्रदेश की वित्तीय हालत खराब है। प्रदेश को लाडली बहन योजना से लेकर अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है। प्रदेश में हर विभाग की समीक्षा बैठकें भी वीडियो काप्रिंसिंग के जरिए हो जाती है। लेकिन सरकारी विभागों में अधिकारियों की मौज है।
ताजा मामला वन विभाग का है जहां समीक्षा बैठक और कार्यशाला के नाम पर आला अधिकारियों द्वारा अलग-अलग शहरों के आलीशान होटलों में परिवार के जाकर जमकर मौज-मस्ती और खरीदारी की जा रही है। और वन विभागों के अलग अलग विभागों की पहले से ही बैठके हो रही है। अगर बैठक जरुनी हो भी भोपाल में आलीशान भवन भी है, लेकिन हॉफ (HOFF) और उनके किचिन केबिनेट सदस्यों को शायद पह पसंद नहीं, इसीलिए कुछ शीर्ष अफसरों के रिटायरमेंट से पहले उन्होंने चार अलग-अलग जगहों पर समीक्षा बैठकों का आयोजन किया है। सूत्रों की माने तो यह समीक्षा बैठकें किसी समीक्षा के लिए नहीं केवल मनोरंजन के लिए होती है। ये सभी जगह मध्य प्रदेश में पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है।
जबलपुर, इंदौर और ओरछा के राजविलाश होटल में यह बैठके हो चुकी है और अब बांधवगढ़ में होना है। जबलपुर, इंदौर और ओरछा जहां यह बैठक हो चुकी है, वहां बताया जा रखा है की आला अधिकारियों को केवल महंगे होटलों में शुट रूम में ठहराया बल्कि शीर्ष अधिकारियों ने महंगे-महंगे गिफ्ट भी लिए हैं। चर्चा तो यह भी कहा कि कार्यशाला तो दिन में हुई और रात में बौद्धिक राष्ट्रीय चिंतन किया गया।