भोपाल। प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा पिछले समय भर्ती किए गए अतिथि विद्वानों की चयन प्रक्रिया में विभाग ने अपने ही नियमों का पालन नहीं किया है। इस संबंध में जारी की गई चयन सूची में विभाग ने प्रमाणिक शिकायतों को दरकिनार करते हुए स्वयं ही नियमो की अनदेखी कर काबिलों के हक पर नाकाबिल अतिथि विद्वानो को मौज करने का मौका दे दिया गया है।
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के महाविद्यालयों में अतिथि विद्वानों की नियुक्ति में संबंधित विषय में पी- एचडी/ नेट /स्लेट/ सेट को अनिवार्य योग्यता में शामिल किया गया है। लेकिन पिछले समय हुई भर्ती प्रक्रिया में विभाग ने अपने ही नियमों को ठेंगा दिखाकर काबिलों का हक मार दिया है।
इस संबंध में एक मामला सागर के आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज का सामने आया है जिसमें सोशलॉजी से पीएचडी धारक आवेदक को स्पोर्ट्स में अतिथि विद्वान के रूप में नियम विरुद्ध रूप से नियुक्ति दे दी गई है। इस गड़बड़ी पर पर्दा डालने में कॉलेज प्रशासन से लेकर स्थानीय एडी कार्यालय और उच्च शिक्षा विभाग का भोपाल संचनालय भी लिप्त नज़र आ रहा है। इस मामले को लेकर की गई शिकायतों पर जांच के बाद फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
फर्जी ईडब्ल्यूएस की आड़ कई नौकरी पा गए
फर्जी ईडब्ल्यूएस की आड़ में भी कई लोग इस प्रक्रिया में नौकरी पा गए हैं। भोपाल में बैठे उच्च अधिकारियों की मिलीभगत से योग्य लोगों के हकों पर डाका डाल कर ऐसे ही न जाने कितने अयोग्य लोगों को नियुक्ति दे दी गई ये जांच का विषय है। उच्च शिक्षा विभाग के कमिश्नर निशांत बरवडे से इस संबंध में जानकारी चाहे जाने पर वे जवाब देने से बचने की कोशिश कर रहे हैं।
वहीं प्रमुख सचिव केसी गुप्ता भी इस मामले में चर्चा को तैयार नहीं हैं। उच्च शिक्षा विभाग की इस कार्यप्रणाली से जहां अतिथि विद्वानों की नियुक्तियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं वहीं दूसरी तरफ योग्य और जरूरतमंद आवेदकों का हक भी मारा जा रहा है।