भोपाल: मध्य प्रदेश की एकमात्र राज्यसभा सीट को लेकर कांग्रेस में बुजुर्ग नेता विरुद्ध युवा नेता के बीच द्वंद्व छिड़ गई है।इसी कड़ी में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पार्टी के वरिष्ठम नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को राज्यसभा की दौड़ से बाहर धकेलने के लिए पार्टी की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी का नाम प्रस्तावित किया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा है कि मप्र से राज्यसभा में सोनिया गांधी प्रतिनिधित्व करें, यह सबके लिए गर्व और सम्मान का विषय होगा। पटवारी यहीं नहीं रुके, बल्कि यह भी दावा किया कि कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और सभी वरिष्ठ कांग्रेस जनों की इच्छा है कि सोनिया गांधी मध्य प्रदेश का नेतृत्व करें।
पटवारी ने कहा कि सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री का पद को ठुकराया था और अब हम सबकी मंशा है कि उनके नेतृत्व और मार्गदर्शन में देश के वास्तविक विकास की परिकल्पना साकार होती रहे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पटवारी का बयान तब आया जब पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए कमलनाथ मंगलवार को विधायकों को अपने बंगले पर डिनर दे रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ और वर्तमान अध्यक्ष जीतू पटवारी के बीच राजनीतिक अदावत विधानसभा चुनाव के पहले से ही शुरू हो गई थी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पटवारी अब मौके पर चौका लगाने की ओर कदम बढ़ाया है। वहीं, सूत्रों का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गत दिनों सोनिया गांधी से मुलाकात कर राज्यसभा में जाने की इच्छा व्यक्त की थी। मुलाकात के दूसरे दिन ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने एक बयान जारी कर मध्य प्रदेश से राज्यसभा सीट के लिए सोनिया गांधी का नाम आगे बढ़ा दिया।
क्या कमलनाथ के खिलाफ रची जा रही है साजिश?
राजनीतिक गलियारों में या एक प्रश्न गूंज रहा है कि क्या कांग्रेस की राजनीति में चाणक्य कहे जाने वाले दिग्विजय सिंह के राजनीतिक शिष्य एवं प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को मध्य प्रदेश की राजनीति में अप्रासंगिक बनाने के लिए ताना-बाना तो नहीं बुन रहें हैं?
कांग्रेस की राजनीति में ऐसी परंपरा बन गई है कि जिस किसी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना हो उसके सामने ऐसी परिस्थिति निर्मित कर दो कि वह स्वत: ही पार्टी छोड़कर चला जाए। कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया इसके जीते जागते उदाहरण है।
इसके पहले भी कांग्रेस के पन्ने पलटे तो आपको स्मरण हो जाएगा कि दिवंगत आदिवासी नेता दिलीप सिंह भूरिया, स्वर्गीय अरविंद नेताम, अल्पसंख्यक नेता असलम शेरखान आदि के सामने ऐसी स्थिति निर्मित कर दी गई कि उन्हें कांग्रेस को अलविदा कहना पड़ा। कमलनाथ एकमात्र कांग्रेस के ऐसे नेता हैं जो लगातार नौ बार से छिंदवाड़ा जीते आ रहे हैं। तमाम कोशिशें के बावजूद भी बीजेपी छिंदवाड़ा में सेंध नहीं लगा सकी है।