प्रदेश में एमबीबीएस, इंजीनियर एवं एमबीए भी बेरोजगार


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स्टोरी हाइलाइट्स

आज भी इंजीनियरिंग में स्नातक हो, एमबीए के स्नातक अथवा मेडिकल के ग्रेजुएट हो, सभी को रोजगार के लिए भटकना पड़ रहा है या वे राज्य से पलायन को विवश हो रहे हैं..!!

भोपाल: मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लगभग 18 साल में अनगिनत पूंजी निवेश के दावे किये, वर्तमान मोहन सरकार ने भी बीते 6 महीने में दो इन्वेस्टर समिट कर डाली। इसमें भी क्षेत्र के विकास को लेकर कागजों पर आंकड़े प्रस्तुत किए गए, लेकिन हालात यह है कि मध्य प्रदेश में रोजगार के साधन बढ़ नहीं रहे हैं और आज भी इंजीनियरिंग में स्नातक हो, एमबीए के स्नातक अथवा मेडिकल के ग्रेजुएट हो, सभी को रोजगार के लिए भटकना पड़ रहा है या वे राज्य से पलायन को विवश हो रहे हैं।

मध्य प्रदेश में रोजगार कार्यालय पर सरकार ने भले ही ध्यान देना कम कर दिया हो, लेकिन बेरोजगारी के बढ़ते आंकड़े सरकार के पोर्टल पर ही इस हकीकत की चुगली कर रहे हैं।एमपी रोजगार पोर्टल पर 31 मई 2024 की स्थिति में पीजी पढ़े 1 लाख 49 हजार 917, बीडीएस 3 हजार 449, एमबीबीएस 3 हजार 621, 1 लाख 22 हजार 532, एमबीए 16 हजार 37 तथा अन्य उच्च शिक्षित 4 लाख 55 हजार 457 बेरोजगार के रूप में दर्ज हैं। पोर्टल पर कुल 25 लाख 82 हजार 759 बेरोजगार दर्ज हैं जिनमें एससी के 18.12, एसटी के 15.50, ओबीसी के 39.40 तथा सामान्य वर्ग के 26.98 प्रतिशत आवेदक शामिल हैं। 

एक जानकारी के अनुसार बेरोजगार युवक युवतियों के पंजीयन पोर्टल पर तो दिखाई देते हैं, साथ ही जो अशिक्षित है वे श्रमिक तो अपना पंजीयन भी नहीं करवा पाते। इस स्थिति में बेरोजगारी का आंकड़ा विस्फोटक रूप ले रहा है और सरकार केवल इन्वेस्टर समिट के नाम पर इवेंट करके क्या दिखाना चाहती है?

इतना ही नहीं मध्य प्रदेश के बेरोजगारों के मुंह पर यह भी करारा तमाचा है कि सरकारी रिकॉर्ड में रोजगार कार्यालयों पर वर्ष 2015-18 से वर्ष 2023-24 तक कुल 1 अरब 10 करोड़ 37 लाख 79 हजार रुपये व्यय किये गये।