बाबा महाकाल की सवारी से 'शाही' शब्द हटाने को मोहन सरकार का समर्थन, नए नाम की तलाश जारी


Image Credit : X

स्टोरी हाइलाइट्स

महाकाल शाही सवारी के मुद्दे पर उज्जैन सहित मध्य प्रदेश का सनातन समाज एकजुट, मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखने पर चर्चा शुरु..!!

उज्जैन में देवाधिदेव महाकाल की नगरी यात्रा को इस्लामिक और सामंती अर्थों में 'शाही सवारी' बताए जाने का जो मुद्दा उठाया गया, उसका व्यापक असर हुआ है। मध्य प्रदेश के साधु-संतों, कथावाचकों, विद्वानों, संस्कृत विशेषज्ञों और आम जनता ने एक स्वर से कहा है कि हमारे आराध्य देव तीर्थ से 'शाही' जैसे फारसी शब्द को हटाया जाना चाहिए।

प्रदेश भर से उठे आक्रोश के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी सोमवार को जारी बयान में 'शाही सवारी' की जगह 'राजसी सवारी' शब्द का इस्तेमाल किया. राज्य सरकार के संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री धर्मेंद्र लोधी ने कहा कि मुख्यमंत्री से बात कर शाही शब्द के स्थान पर नये शब्द का प्रयोग किया जाएगा। इसके लिए धर्मगुरुओं, संस्कृति विद्वानों, पंडे-पुजारियों से चर्चा कर नया नाम तय किया जाएगा।

सोमवार को उज्जैन के जनसंपर्क कार्यालय की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में महाकाल के नगर भ्रमण को 'राजसी सवारी' बताया गया, जबकि एक दिन पहले जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में इसे 'शाही सवारी' बताया गया था। इस मुद्दे पर उज्जैन सहित मध्य प्रदेश का सनत समाज एकजुट हो गया है और मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखने पर चर्चा शुरू हो गई है। इसमें न केवल इस्लामी और सामंती शब्द 'शाही' को हटाने की मांग की जाएगी, बल्कि संस्कृत में पांच और हिंदी में पांच नए नाम भी सुझाए जाएंगे।

मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे का कहना है कि आध्यात्मिक चेतना से जुड़ी घटना के लिए 'शाही सवारी' शब्द का इस्तेमाल शर्मनाक है। अपनी पहचान की रक्षा और स्वाभिमान दिखाने के लिए यह नाम जल्द बदला जाना चाहिए।' संस्कृत के संतों और महान विद्वानों ने इसके पर्यायवाची के रूप में अच्छे शब्द सुझाए हैं।

भारतीय संस्कृति के विद्वान डॉ. मुरलीधर चांदनी वाला ने कहा कि मुझे न केवल 'शाही' शब्द पर बल्कि 'सवारी' शब्द पर भी आपत्ति है। शाही सवारियां मुगल बादशाहों और बेगमों की निकलती थीं। महाकाल की कैसी शाही सवारी? 

आपको जानकर हैरानी होगी कि 16वीं-17वीं शताब्दी में महाकाल मंदिर की व्यवस्था मुस्लिम शासकों के शाही आदेशों पर निर्भर हो गई थी। तभी से 'शाही' शब्द प्रचलन में है। सिंहस्थ मेले का 'शाहीस्नान' भी उसी काल में लोकप्रिय हुआ। 

शाही शब्द हटाने का मुद्दा राजनीतिक रंग भी ले चुका है। सोमवार को जब सांस्कृतिक धर्मस्व मंत्री ने मुख्यमंत्री से चर्चा की बात कही तो मंदसौर विधायक और भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता यशपाल सिंह सिसौदिया ने मुख्यमंत्री को संबोधित एक्स पर एक पोस्ट डाली और शाही शब्द हटाने की मांग की। मुद्दे को लेकर कांग्रेस भी मैदान में कूद गई है। प्रदेश प्रवक्ता अभिनव बरोलिया दिन भर कहते रहे कि शब्द और नाम बदलना भाजपा की राजनीति का पुराना तरीका है। भाजपा सिर्फ नफरत की राजनीति करती है। धर्म में राजनीति उचित नहीं है। नाम बदलने से कुछ हासिल नहीं होगा।