MP Forest: पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में बना है जंगल कॉटेज


स्टोरी हाइलाइट्स

MP Forest: अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं जंगल कॉटेज को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर पन्ना को पत्र लिखकर संयुक्त रूप से सीमांकन करने के निर्देश दिए गए हैं..!!

भोपाल: कई सालों से पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर एरिया हिनौता में जंगल कॉटेज का संचालन किया जा रहा है। इस बात की जानकारी न तो पन्ना टाइगर के डायरेक्टरों ने संज्ञान में लिया और न ही ईको पर्यटन बोर्ड के पूर्ववर्ती सीईओ को जानकारी लगी। केंद्रीय मंत्री को हुई शिकायत के बाद बोर्ड की मौजूदा सीईओ डॉ. समिता राजौरा ने कथित तौर पर अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं जंगल कॉटेज गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर पन्ना को पत्र लिखकर संयुक्त रूप से सीमांकन करने के निर्देश दिए हैं।

कलेक्टर को लिखे पत्र में ईको पर्यटन बोर्ड की सीईओ डॉ. का कहना है कि पन्ना टाइगर रिजर्व के हिनौता अंतर्गत आरक्षित कक्ष क्रमांक 535 के सीमाओं को लेकर टाइगर रिजर्व प्रबंधन, एनएमडीसी, वन विभाग व राजस्व विभाग में मतभेद हैं। दरअसल, इस क्षेत्र में टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने जंगल कॉटेज का संचालन प्रारंभ कर दिया था। जिसे लेकर शिकायत हुई थी कि कोर एरिया में इसका निर्माण व संचालन नहीं किया जा सकता है। 

इसके बाद प्रबंधन ने कॉटेज का संचालन तो बंद कर दिया, लेकिन अब कॉटेज किसकी भूमि पर बना है, यह तय करने के लिए पन्ना संयुक्त दल का गठन कर संयुक्त सीमांकन करना आवश्यक हो गया है। डॉ. राजौरा ने कलेक्टर को लिखे पत्र में उल्लेख किया है कि क्षेत्र संचालक ने 14 मार्च 23 को एक पत्र के जरिये अवगत है कि तहसीलदार पन्ना ने 4 सितम्बर 19 को लिखित में बताया था कि पन्ना टाइगर,रिजर्व परिक्षेत्र हिनौता अंतर्गत पर्यटन स्थल वन कक्ष क्रमांक आरएस 535 की सीमा के पास राजस्व क्षेत्र में स्थित है तथा उक्त क्षेत्र की भूमि एनएमडीसी को लीज पट्टे पर दी गई है। जबकि, विवादित भूमि पर वन विभाग द्वारा हिनौता गेट, जंगल कॉटेज कैम्पस, कैफेटेरिया बनाकर कब्जा किया गया है।

कोर एरिया में है पर्यटन स्थल-

कलेक्टर को लिखे पत्र में डॉ  राजौरा  का कहना है कि पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक ने अपने 14 मार्च 23 को बोर्ड को लिखे पत्र में अवगत कराया है कि पन्ना टाइगर रिजर्व परिचित हिनौता के अंतर्गत पर्यटन स्थल पीटीआर कार्यालय के रिकॉर्ड के अनुसार राजस्व क्षेत्र एनएमडीसी की हीरा खनन परियोजना को खनन कर के लिए लीज पर है। लेकिन मिशिल बंदोबस्त वर्ष 1955-56 के पटवारी मानचित्र में विवादित पर्यटन स्थल वन खंड पीपलटोल बडोर के अंतर्गत अधिसूचित आरक्षित वन क्षेत्र है, जो कि कक्ष क्रमांक 535 की सीमा लाइन के अंदर है। 

डॉ. राजौरा ने कलेक्टर को लिखे पत्र में यह भी कहा है कि क्षेत्र संचालक द्वारा उन्हें अवगत कराया है कि 28 में 23 को हुए संयुक्त सर्वेक्षण के अनुसार एक पर्यटन स्थल जंगल कॉटेज हिनौता की वैधानिक स्थिति आरक्षित क्षेत्र क्रमांक 535 में स्थित है। टाइगर कंजर्वेशन प्लान में वन खंड  क्रमांक 535  कोर एरिया में स्थित है। तहसीलदार पन्ना द्वारा पूर्व में दी गई रिपोर्ट एवं 28 में 23 को संयुक्त सर्वेक्षण में आए तथ्य विरोधाभास की स्थिति निर्मित करते हैं।

केंद्र मंत्री को हुई शिकायत में जताई गड़बड़ी की आशंका-

गौरतलब है कि इस मामले में वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया था कि मप्र सरकार ने पन्ना जिले में एनएमडीसी को हीरा खनन परियोजना के लिए जमीन लीज पर दी थी। उक्त भूमि पन्ना टाइगर रिजर्व के हिनौता गेट के बगल में है। कोर एरिया के बेहद नजदीक है और संभवतः कुछ हिस्सा कोर एरिया में भी है। 

शिकायत में आरोप हैं कि एनएमडीसी की इस जमीन पर पन्ना टाइगर रिजर्व ने गलत तरीके से लाखों रुपए खर्च कर निर्माण कराकर पर्यटन स्थल विकसित कर कॉटेज बनाए और 2022 में तत्कालीन फील्ड डायरेक्टर उत्तम शर्मा ने निविदा जारी कर निजी फर्म मेसर्स जंगल टूर एंड ट्रैवल खजुराहो, छतरपुर को संचालन के लिए दे दिया, जो गंभीर प्रकृति का भ्रष्टाचार है। दुबे ने आरोप लगाते हुए कहा कि एनएमडीसी की जमीन पर पन्ना टाइगर रिजर्व द्वारा अवैध कॉटेज को बनाकर निजी फर्म को पर्यटन के लिए सौंपना भ्रष्टाचार का मामला है।

यह गैर कानूनी कार्य बाघों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। इस मामले में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के सहायक वन महानिरीक्षक हेमंत सिंह ने पीसीसीएफ एमपी को लिखे पत्र में कहा था कि शिकायत में काफी तथ्य हैं, इसलिए कार्रवाई करने के साथ ही प्राधिकरण को एक तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजें।