भोपाल प्रदेश के 29 मौजूदा विधायक ऐसे हैं, जिन पर अदालतों में गंभीर आपराधों में सेशन कोर्ट आरोप तय कर चुका है। ट्रायल चल रहा है। इन 29 में से 24 फिर से चुनावी मैदान में हैं। इनमें कांग्रेस के 16, भाजपा के 12 और एक बसपा विधायक हैं। कांग्रेस ने 13 को और भाजपा ने 10 को फिर से टिकट दे दिया है। इन विधायकों पर जिस तरह के केस हैं, यदि उनमें उन्हें दोषी पाया जाता है तो लोक प्रतिनिधित्व कानून के तहत इनकी सदस्यता रद्द हो जाएगी।
यह खुलासा एडीआर की रिपोर्ट में हुआ है। इन 29 विधायकों के मामलों में 8 केस 10 साल से अधिक समय से अदालतों में झूल रहे हैं। मौजूदा विधायकों को लेकर जारी रिपोर्ट में खुलासा किया गया है। रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई गई है कि पिछले एक दशक में अपराधियों के चुनाव लड़ने से रोकने के सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का ठीक से पालन नहीं किया गया है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 अपराध के दोषियों को चुनाव लड़ने से रोकती है। जिनपर सिर्फ मुकदमा चल रहा है, वे चुनाव लड़ सकते हैं।
सजा पूरी होने के 6 साल तक नहीं लड़ सकते चुनाव
धारा 8(1) और (2) हत्या, बलात्कार, विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम का उल्लंघन; धर्म, भाषा या क्षेत्र के आधार पर शत्रुता पैदा करना, संविधान का अपमान, आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता जैसे मामले के दोषी को सांसद-विधायक के पद के लिए अयोग्य ठहराती है। धारा 8 (3) में दो वर्ष से अधिक सजा होने पर फैसले के दिन से आयोग्य माना जाता है। सजा पूरी होने के 6 वर्ष तक चुनाव नहीं लड़ सकते।