भोपाल: मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी मुख्यमंत्री के चेहरे को घोषित किए बिना पूरा चुनाव लड़ेगी, पार्टी के दिग्गज नेताओं ने उत्तर प्रदेश फार्मूले पर ऐसी रणनीति तैयार कर ली हैं।
वर्ष 2003 में जब भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस की दिग्विजय सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया था तो उनका चेहरा साध्वी उमा भारती था, उसके बाद वर्ष 2008 के चुनाव में भी भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर ही दांव लगाया था तब से लेकर 2018 तक सभी चुनाव शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर ही लड़े गए हैं, लेकिन 2018 में मिली करारी शिकस्त के बाद आगामी चुनाव दिसम्बर 2023 के लिए पार्टी फूंक फूंक कर कदम रख रही है ,दिल्ली सूत्रों की माने तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक सुर में यह ऐलान कर दिया है कि मध्य प्रदेश हो राजस्थान या छत्तीसगढ़ तीनों ही राज्यों में मुख्यमंत्री का चेहरा सामने नहीं रखा जाएगा ,नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही वोट मांगे जाएंगे।
हाल ही में राज्य में प्रारंभ की गई जन आशीर्वाद यात्रा के किसी भी पोस्टर पर अकेले शिवराज सिंह चौहान का चित्र नहीं है।पार्टी के सामूहिक नेतृत्व का उद्घोष करती इस यात्रा में राष्ट्रीय नेताओं के साथ सभी स्थानीय नेताओं को भी पर्याप्त महत्व दिया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यात्रा में शामिल रहते हैं किंतु पिछली जन आशीर्वाद यात्रा जैसी उनकी महानायक की छवि इसमें नजर नहीं आती।
कांग्रेस में कमलनाथ पर भरोसा
दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में कांग्रेस धीमी रफ्तार से ही सही लेकिन अपनी तैयारी को अंतिम रूप दे रही है और पार्टी ने घोषित तौर पर कमलनाथ को ही अपना चेहरा बताया है हालांकि पार्टी के प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला हाल ही में अपनी यात्रा के दौरान कह चुके हैं कि पार्टी नेतृत्व ही अपने विधायक दल के नेता का चयन करते है। पार्टी में दिग्विजय सिंह अरुण यादव, कांतिलाल भूरिया, अजय सिंह राहुल भैया सरीखे दिग्गज नेता कमलनाथ के पीछे चलने को तैयार हो गए हैं ऐसी स्थिति में सेनापति के नाम को लेकर कोई संशय नजर नहीं आता।