इंदौर की गेर में शामिल हुए सीएम मोहन यादव, रंगों से सराबोर हो लौटे भोपाल


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स्टोरी हाइलाइट्स

इंदौर की गेर को देखने के लिए देश के कोने कोने से लोग आते हैं..!!

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में फाग महोत्सव का अनूठा नज़ारा देखने मिला। पांच दिवसीय होली उत्सव के आखिरी दिन मध्य प्रदेश में पूरे उत्साह और उल्लास के साथ 'रंगपंचमी' मनाई जा रही है। इंदौर में 30 मार्च शनिवार को रंग पंचमी के मौके पर इंदौर में भव्य 'गेर' निकाली जा रही है। गेर के माध्यम से पूरा शहर रंगों में सराबोर नज़र आ रहा है। 

इसके माध्यम से इंदौर की रंग बिरंगी विरासत को संजोने की अनूठी पहल भी की जा रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी इस रंगारंग उत्सव का हिस्सा बने। इंदौर की गेर को देखने के लिए देश के कोने कोने से लोग आते हैं। 

सीएम यादव रंगपंचमी महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए इंदौरी गेर... में पहुंचे। इस मौके पर उन्होंने प्रदेश वासियों को रंगपंचमी की शुभकामनाएं दीं। सीएम बनने के बाद डॉ मोहन यादव पहली बार इस फाग उत्सव का हिस्सा बने।

इंदौर में रंग पंचमी की गेर में आसमान में दिनभर रंगों की छटा बिखरी रही। ये लगभग 100 साल पुरानी परंपरा है, जो इंदौर में चली आ रही है। राजवाड़ा पहुंची गेर में युवा भगवा झंडे लेकर आगे-आगे चलते दिखे। फिर भजन मंडलियां भजन गाती और युवाओं पर पिचकारी की धार से रंगों की बरसात भी की गई। यात्रा में संजीवनी पर्वत ले जाते हनुमान की एक झलक भी शामिल रही।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गेर का खूब लुत्फ उठाया। जगह-जगह लोगों पर गुलाल उड़ाया गया। अभिनंदन भी स्वीकार किया। जब वह वापस लौटे तो वह रंगो और पानी से सराबोर दिखे। 

इस मौके पर बोलते हुए उन्होंने कहा, कि 75 साल पुरानी इस परंपरा में शामिल होकर मुझे बेहद खुशी हो रही है। सदियों पुरानी परंपरा मध्य प्रदेश और मालवा के लिए अद्वितीय है। गेर महज एक शब्द है, यह एक समूह है जो खुद को अपना बना लेता है। इस दिन के बाद विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों के प्रतीकों को ले जाने की परंपरा है। आचार संहिता है, कुछ सीमाएँ हैं। हालाँकि, आज मैं इस गौरवशाली परंपरा का स्मरण करने के लिए यहां आया हूं।

शनिवार सुबह 10 बजे से पांच से अधिक गेर शुरू हुईं, जो खजूरी बाजार, मल्हारगंज, टोरी कॉर्नर, सराफा, गौराकुंड चाररास्ता से गुजरीं। गेर में अमीर-गरीब का कोई फर्क नहीं होता, ना ही उम्र का कोई अंतर नहीं दिखता है। बच्चे, बूढ़े और जवान सभी समान रूप से उत्साहित नज़र आए।  

इंदौर में गेर उतारने की 100 साल पुरानी परंपरा है। दो साल के कोविड के बाद यह परंपरा टूट गई। फिर गेर बाहर नहीं आ सकी। यहां हर साल लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है। गेर पूरी होने के बाद नगर निगम की ओर से पूरे मार्ग पर सफाई अभियान चलाया जाएगा।