मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शहीद दिवस पर सार्वजनिक मंच से या घोषणा की थी कि वन भवन का इ ब्लॉक विभाग के पास ही रहेगा. यानी भवन का पूर्णता मालिकाना हक वन विभाग का ही होगा किसी अन्य विभाग को नहीं दिया जाएगा. आचार संहिता लगने के तीसरे दिन ही बुधवार को अपर सचिव वन को लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग फरमान जारी कर दिया है, इसमें कहा गया है कि इ ब्लॉक के तीनों फ्लोर की रजिस्ट्री करने की एक हफ्ते के भीतर कर दिया जाए.
लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग ने अपने फरमान में प्रथम मंजिल श्रम कल्याण मंडल को आवंटित किया है. इसके लिए श्रम कल्याण मंडल को 2 करोड़ 39 लाख 58 हजार 677 रुपए भुगतान करने होंगे. इसी प्रकार दूसरी मंजिल, जिसका बिल्टअप एरिया 19466 वर्ग फिट है. इसके लिए मध्य प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड को कल 2 करोड़ 36 लाख 12हजार 828 रुपए और तीसरी मंजिल एमपी स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड को आवंटित किया है. माइनिंग कॉरपोरेशन को 2 करोड़ 36 लाख 12हजार 888 रुपए भुगतान करने होंगे.
8 सितंबर को मुख्यमंत्री ने की थी घोषणा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 8 सितंबर अंतरराष्ट्रीय शहीद दिवस पर सार्वजनिक मंच से यह घोषणा की थी कि वन भवन का हिस्सा किसी अन्य विभाग को नहीं दिया जाएगा. उनकी इस घोषणा पर न केवल भोपाल में बल्कि पूरे जंगल महकमें चारों तरफ मुख्यमंत्री की वाहवाही हुई थी. मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद से ही विभाग पर रजिस्ट्री करने का दबाव भी खत्म हो गया था. लेकिन आचार संहिता लगते ही 12 अक्टूबर को फरमान जारी हो गया. इससे आईएफएस अफसर से लेकर फील्ड में देना वन कर्मचारियों में असंतोष है. यानी मुख्यमंत्री की घोषणा आचार संहिता लगते ही डस्टबिन में डाल दी गई है.