गांधी मेडिकल कॉलेज में हड़ताल तो जूनियर डॉक्टरों की चल रही है लेकिन इस हड़ताल से पुराने भोपाल समेत प्रदेश भर से आने वाले मरीज खासे परेशान हो रहे हैं। उन्हें ठीक से इलाज नहीं मिल रहा है, रोजाना 10 से 15 ऑपरेशन टालने पड़ रहे हैं। तनाव की यह स्थिति कॉलेज की एक जूनियर डॉक्टर द्वारा आत्महत्या करने के बाद बनी हुई है। उनके समर्थन में जूनियर डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं, ये डॉक्टर अरुणा कुमार को हटाने की मांग को लेकर अड़े हुए हैं। शुक्रवार सुबह से ही हमीदिया अस्पताल में मरीजों व उनके परिजनों पर हड़ताल का असर दिखाई देने लगा था।
असल में गांधी मेडिकल कॉलेज में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की जूनियर डाक्टर डॉ. बाला सरस्वती ने सुसाइड किया था। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि डॉ अरुणा कुमार को हटाया जाए। इनका कहना है कि हमें धमकाया जाता है। हम नहीं चाहते कि हड़ताल आगे बड़े और मरीजों का नुकसान हो। इनका कहना है कि डॉ. अरुणा कुमार का बहुत अधिक प्रभाव है। उनकी मौजूदगी में ही डॉक्टरों में भय की स्थिति रहती है।
गांधी मेडिकल कॉलेज में जूनियर डाक्टर्स की आत्महत्या का मामला, आयोग ने डीन को दिए जांच के निर्देश
राजधानी स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज में जूनियर डाक्टर बाला सरस्वती की आत्महत्या के मामले में अब मप्र मानव अधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया है। आयोग ने डीन (अधिष्ठाता ), गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल को प्रकरण की जांच के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही की गई जांच के ब्यौरे के साथ रिपोर्ट भी एक माह में मांगी है। आयोग से मिली जानकारी के अनुसार, डॉ. सरस्वती पीजी फर्स्ट ईयर में बीमार हो गई थीं, जिससे वह कोर्स में अन्य साथियों से करीब छह महीने पीछे चल रही थीं।
छात्रों ने बताया कि उनके कंसलटेंट डाक्टर सरस्वती को थर्ड ईयर की परीक्षा और प्रैक्टिकल में शामिल नहीं होने दिया। यह भी जानकारी में आया है कि सीनियर्स ने थीसिस पर साइन करने के लिये अबॉर्शन कराने का दबाव बनाया था। इन सबसे डॉ. सरस्वती मानसिक रूप से बेहद परेशान चल रहीं थीं। इसीलिए उन्होंने ऐसा प्राणघातक कदम उठाया। बता दें कि जूनियर डाक्टर बाला सरस्वती की आत्महत्या के पीछे कंसलटेंट और सीनियर्स के व्यवहार, वर्कलोड और मानसिक तनाव को जिम्मेदार माना जा रहा है। इस मामले को लेकर मेडिकल छात्र लामबंद हो रहे हैं।