गोंद पैदा करने वाले सलई पौधों का वनों में रोपण होगा


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स्टोरी हाइलाइट्स

यह वृक्षारोपण संयुक्त वन प्रबंधन समितियों की सहभागिता से किया जायेगा..!!

भोपाल: राज्य का वन विभाग वर्ष 2024-25 में प्रदेश के वनों में सलई वृक्षों की पैदावार बढ़ाने के लिये इनका रोपण करेगा। इसका व्यय कैम्पा फण्ड एवं विभागीय मद से किया जायेगा। इसके लिये वन बल प्रमुख रमेश गुप्ता ने सभी वन वृत्तों के सीसीएफ, राष्ट्रीय उद्यानों एवं अभयारण्यों के क्षेत्र संचालकों एवं वनमंडलों के डीएफओ को निर्देश जारी किये हैं। यह वृक्षारोपण संयुक्त वन प्रबंधन समितियों की सहभागिता से किया जायेगा।

उल्लेखनीय है कि सलई का वृक्ष जंगली होता है, जो मध्यम आकार का होता है। इसकी लकड़ी बहुत ही हल्की होती है। लोभान भी बनता है तथा यह सलई के पेड़ का सुगंधित गोंद है। इसमें एंटीसेप्टिक, एनाल्जेसिक, एस्ट्रिन्जेंट, एक्सपेक्टोरेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-डिप्रेसेंट, और स्टीमुलेंट जैसे गुण होते हैं। धार्मिक कार्यक्रमों में सुगंध के लिए लोभान को जलाने की परंपरा है।

इसका स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके धुएं से दिमाग को शांति मिलती है और थकान दूर होती है। औषधि की तरह इसे जोड़ों के दर्द और सूजन के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। यह कैंसर, इंफ्लेमेटरी बोवेल डिजीज, अस्थमा, डायरिया, और पार्किन्संस डिजीज में भी लाभकारी होता है। इसके सस्ते फर्नीचर भी बनाए जाते हैं। इसके पत्ते नीम की तरह होते हैं, जिन पर छोटे सफेद फूल लगते हैं। इन पत्तों को हाथी बड़े चाव से खाते हैं। इसलिए इसका एक नाम गजभक्ष्या भी है।

वन बल प्रमुख ने निर्देशों में कहा है कि प्रति वर्ष न्यूनतम 3 हैक्टेयर का क्षेत्र बनाया जाये जिसमें 500 पौधे प्रति हैक्टैयर लगाने होंगे एवं इसकी फेंसिंग भी करना होगी। अप्रैल 2024 में प्रचलित मजदूरी का भुगतान किया जायेगा।