मध्यप्रदेश व राजस्थान में भाजपा सरकारों के गठन के 11 दिन बाद भी हाइकमान को मंत्रिमंडल के गठन में मशक्कतें करना पड़ी हैं। दोनों राज्यों में नया मंत्रिमंडल अभी तक घोषित नहीं हो पाया है लेकिन जानकारों का दावा है कि मप्र की कैबिनेट के लिये 'पेपर वर्क' पूरा हो चुका है। सिर्फ इसके ऐलान के पहले राजस्थान के पेंच सुलझाने में हाइकमान जुटा हुआ है।
मप्र के मुख्यमंत्री मोहन यादव दिल्ली के दो दिनी प्रवास के बाद वापस लौट आए हैं, माना जा रहा है कि कैबिनेट गठन के लिये नामों का 'प्रारूप' अब उनके पास है। इसमें हाइकमान के कहने पर एकाध संशोधन हो सकता है, इसके बाद शपथ ग्रहण कार्यक्रम का समय व तारीख सामने आ जाएगी। आज दिनभर भाजपा हाइकमान राजस्थान के नामों पर पेंच सुलझाने में लगा है।
राजस्थान के सीएम शर्मा व दोनों डिप्टी सीएम पीएम मोदी और अमित शाह से मुलाकात कर चुके हैं। हाल ही में दूसरी मुलाकात के बाद यही माना जा रहा था कि राजस्थान मंत्रिमंडल की घोषणा होगी लेकिन दो दिन बाद भी अभी तक कोई संकेत नहीं मिले हैं। इस बीच मोहन यादव कल दिल्ली में मोदी, शाह व नड्डा आदि से मिलकर वापस आ गये हैं। कयास हैं कि राजस्थान में मंत्रिमंडल को लेकर कोई पेच फंस गया है। इसकी मुख्य वजह वसुंधरा राजे के समर्थक विधायकों को मंत्री बनाने को लेकर संशय है। हाइकमान की नजरें अब वसुंधरा राजे के खेमे के विधायकों पर टिकी व उनकी गतिविधियों पर है। माना जाता है कि इस खेमे ने अधिकाधिक पद की अपरोक्ष मांग रख दी है।
इस बार मप्र कैबिनेट में कई महिला चेहरे
इधर सूत्रों का कहना है कि मप्र में यादव कैबिनेट में सीनियर जूनियर्स के अलावा महिला मंत्रियों की तादात भी पिछली बार के मुकाबले ज्यादा होगी। पहले मंत्री रहीं महिला विधायक के अलावा कुछ नयी महिला विधायक भी इसमें शामिल होंगी। भाजपा हाइकमान ने अंचलवार भी कैबिनेट में महिला प्रतिनिधित्व की योजना बनाई है।
पहली बार के विधायकों को भी उम्मीद
मप्र में यादव कैबिनेट में इस बार पहली बार के भाजपा विधायकों की उम्मीद भी जवां हैं। दरअसल छत्तीसगढ में पहली बार जीते पांच विधायकों को मंत्री पद देकर भाजपा ने पुरानी लोक तोड़ दी है। छत्तीसगढ में अरूण साव, विजय शर्मा, ओपी चौधरी, लक्ष्मी राजवाड़े और टंकराम वर्मा को मंत्री पद दिया गया है। इनके अलावा राजस्थान में तो भाजपा हाइकमान ने पहली बार ही चुनाव जीते भंवरलाल शर्मा को मुख्यमंत्री तक बना दिया है। ऐसे में मप्र में पहली बार चुनाव जीते भाजपा विधायकों को लोकसभा चुनाव व जातिगत आधार पर प्रवेश की संभावना बन गई हैं। इससे हाइकमान व सीएम भी पुराने चेहरों के दबाव व प्रभाव से भी मुक्त हो सकेंगे।