भोपाल राज्य के लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव सुखवीर सिंह ने प्रदेश में पुलों के टूटने की रोकथाम करने के लिये अधीनस्थ सभी अधिकारियों को नये निर्देश जारी किये हैं। निर्देश में कहा गया है कि विगत कुछ वर्षों में वर्षाकाल के दौरान पुलों के ध्वस्त/क्षतिग्रस्त होने की अनेक घटनायें प्रकाश में आई हैं जिसका मुख्य कारण सर्वेक्षण में पयार्रप्त डाटा संग्रहण का अभाव, हाईएस्ट फ्लड लेवल का त्रुटिपूर्ण आंकलन, नदी के अपस्ट्रीम में पूर्व से निर्मित पुलों/विभिन्न संरचनाओं के अन्य विभाग द्वारा भी संज्ञान में न लेना आदि परिलक्षित हुये हैं।
नये निर्देशों के अनुसार, सर्वेक्षण के अंतर्गत अधीक्षण यंत्री द्वारा समस्त पुलों का स्थल चयन किया जायेगा लेकिल 200 मीटर से अधिक लंबाई के कम से कम 50 प्रतिशत पुलों के स्थल चयन का प्रमाणीकरण मुख्य अभियंता सेतु परिक्षेत्र द्वारा भी किया जायेगा। पुलों के सर्वेक्षण के समय नदी में पिछले 50 से 100 वर्षों में आये अधिकतम बाढ़ स्तर का आंकलन किया जाये।
विगत 15-20 वर्षों के हाईएस्ट फ्लड लेवल डाटा जिसमें फ्लड रिटर्न अवधि, फ्लड पुनरावृत्ति, रिस्क फेक्टर आदि शामिल हो, कार विश्लेषण अनिवार्यत: किया जाये। डीपीआर एवं डिजाईन के के सम्बंध में निर्देश दिये गये हैं कि 15 वर्ग किमी कैचमेंट एरिया से अधिक हेतु सभी पुलों के निर्माण बाबत अनुमोदित जीएडी अनुसार प्रत्येक लोकेशन पर प्राप्त बोर डिटेल्स, प्राप्त स्ट्राटा एवं एसबीसी अनुसार पुल की वर्किंग ड्राईंग तैयार कर विस्तृत डीपीआर तैयार किया जाये।
ब्रिज डिजाईन में सभी प्रचलित अपडेटेड संबंधित आईआरसी कोड एवं नवीनतम आईआरसी-112 में निहित प्रावधानों को डिजाईन में आवश्यक रुप से समाहित किया जाये। पुलों के निर्माण के संबंध में कहा गया है कि निर्माण कार्य गुणवत्ता एवं निर्धारित मापदण्डों के अनुसार किया जाये। पूर्ण पुलों के संबंध में कहा गया है कि विगत कुछ वर्षों में अतिवृष्टि एवं कम समय में अधिक वर्षा के कारण अथवा नदियों पर बांध निर्मित हो जाने से पूर्व निर्मित पुलों में हाईएस्ट फ्लड लेवल में वृध्दि आंकी गई है। उनकी सुरक्षा हेतु समुचित कार्यवाही की जाये। पूर्व में निर्मित सभी पुल जिनका निर्माण 70 आर लोडिंग गाईडलाईन्स के अनुसार नहीं हुआ है, उनका स्ट्रक्चर सेफ्टी सर्वे एवं डिजाईन पुनरीक्षण कराकर वाहन लोड क्षमता का आंकलन कराया जाये एवं तदानुसार भारी वाहनों के आवागमन को नियंत्रित करने हेतु आवश्यक प्रावधान किये जायें।