मप्र में चुनाव का शोर थम चुका है, अब सन्नाटों में सियासी गुणाभाग लगने लगे हैं। मप्र में इस बार भी मतदान में तेजी से 'ट्रेंड' समझने की कोशिश हो रही है। भाजपा और कांग्रेस के वॉर रूम में इन आंकड़ों का पोस्टमार्टम चल रहा है तो सियासी पंडित भी इसमें जुट गये हैं।
आदिवासी क्षेत्रों व ग्रामीण इलाको में मतदान पर भाजपा और कांग्रेस की नजर है। करीब 76 फीसद मतदान का औसत सामने आया है लेकिन आज शाम तक चुनाव आयोग की तरफ से मतदान का अंतिम आंकडा सामने आने के आसार हैं। उम्मीदवारों का पूरा जोर अपने इलाकों की बूथवार वोटिंग को समझने का है। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में इस बार 47 आदिवासी सीटों में से 15 पर मतदान प्रतिशत के बढ़ने से राजनीतिक दलों में बेचैनी बढ़ी है।
भाजपा के अंदरखाने मान रहे हैं कि इससे उसे फायदा हो सकता है। इन सीटों पर राजनीतिक दल और चुनाव आयोग दोनों ने ही मतदान प्रतिशत बढ़ाने के प्रयास किए थे। आयोग ने अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित प्रत्येक विधानसभा सीट में कम मतदान वाले 50-50 मतदान केंद्र चिन्हित कर मतदान प्रतिशत बढ़ाने को जागरूकता अभियान चलाया था।
उल्लेखनीय है कि आदिवासी बहुल जोबट में 54.04 प्रतिशत और बरघाट में सर्वाधिक 88.20 प्रतिशत मतदान हुआ है। 2018 में जोबट में 52.84 प्रतिशत तो सबसे अधिक 89.13 प्रतिशत मतदान अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित सीट सैलाना में हुआ था। तब 47 सीटों में कांग्रेस को 30, भाजपा के 16 और एक पर निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली थी।