खुरासानी इमली को घोषित किया जायेगा विरासत वृक्ष


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स्टोरी हाइलाइट्स

15वीं शताब्दी में मांडू के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी को अफगानिस्तान के खुरासान के सुल्तान ने उपहार स्वरूप कुछ बोलने वाले तोते और खुरासानी इमली के पौधे भेंट किए थे..!!

भोपाल: राज्य के वन विभाग के अंतर्गत कार्यरत मप्र बायो डायवर्सिटी बोर्ड खुरासानी इमली को विरासत वृक्ष घोषित करवायेगी। इसके लिये उसने प्रस्ताव बनाया है तथा राज्य शासन की स्वीकृति मिलने पर इसे विरासत वृक्ष घोषित कर दिया जायेगा।

दरअसल प्रदेश के इंदौर के पास धार जिले के मांडू में बेहद दुर्लभ प्रजाति के खुरासानी इमली के पेड़ हैं। अपने खास स्वाद के साथ ही ये औषधीय गुणों के लिए भी जाने जाते हैं। 15वीं शताब्दी में मांडू के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी को अफगानिस्तान के खुरासान के सुल्तान ने उपहार स्वरूप कुछ बोलने वाले तोते और खुरासानी इमली के पौधे भेंट किए थे। इसका वानस्पतिक नाम बाओबाब ट्री है। 

अलाउद्दीन खिलजी ने पूरे साम्राज्य में खुरासानी इमली के पौधे लगाए थे, लेकिन सिर्फ मांडू एवं आसपास के क्षेत्रों में ही अनुकूल जलवायु मिलने से यह पनप सके। मांडू में इसके करीब एक हजार पेड़ हुआ करते थे। अब सिर्फ 75 ही पेड़ बचे हैं। इस इमली का इस्तेमाल पेट दर्द, पेचिश, कब्ज, हेल्मिन्थस (कृमि) संक्रमण जैसी पेट से जुड़ी समस्याओं से बचाव में किया जा सकता है। इसके अलावा इस इमली में लीवर संरक्षण, ह्रदय संरक्षण और पेट साफ करने वाले गुण भी पाए जाते हैं। अब इस वृक्ष के संरक्षण एवं संवर्धन के लिये बायोडायवर्सिटी बोर्ड इसे विरासत वृक्ष घोषित करवाये जाने की तैयारी कर रहा है क्योंकि कुछ समय पहले इसे उखडक़र हैदराबाद में रोपे जाने की शिकायतें मिली थीं।