भोपाल: लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसन्धान केंद्र के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) को पत्र लिखकर लघु वनोपज संघ में पदस्थ एपीसीसीएफ मनोज अग्रवाल ने 50 अमानक स्तर की दवाइयों की उच्च स्तरीय जांच करने के निर्देश दिए हैं। अग्रवाल ने केंद्र में लंबे समय से चल रही गड़बड़ियों को लेकर भी सीईओ का ध्यान आकर्षित कराते हुए सभी बिंदुओं पर जांच के निर्देश दिए हैं। गौरतलब यह अभी है कि पिछले 5 साल की आडिट रिपोर्ट में गंभीर आपत्ति भी है।
लघु वनोपज संघ में पदस्थ एपीसीसीएफ प्रशासन मनोज अग्रवाल ने केंद्र में व्याप्त 9 बिंदुओं पर हुई गड़बड़ियां की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए लिखा है कि उप प्रबन्धक (उत्पादन) के द्वारा अपनों को उपकृत करने हेतु दवाईयां निर्माण करने में लगने वाली सामग्री भंडार कय नियमों का पालन न करते हुए मनमाने दर पर खुले बाजार से कय किया गया है। दवाईयों के निर्माण में क्रय किया गया बहुत कच्चा पुराना माल उपयोग किया गया है, जो कि 4-5 वर्ष से गोदामों में सड़ा हुआ है। सामग्रियों के गुणवत्ता की जांच नहीं की जाती है। लेखा रिपोर्ट आंतरिक रूप से सांठ-गांठ करके पास किया जाता है । पत्र में अग्रवाल ने अभी कहां है कि लगभग 50 दवाईयों के लैव रिपोर्ट सही नहीं है, जिसकी जांच उच्च कमेटी के द्वारा की जानी चाहिये।
अग्रवाल के पत्र में उल्लेखित प्रमुख बिंदु
*आयुष विभाग से प्राप्त दवाई के सप्लाई ऑडिट में पुराने स्टॉक को शामिल कर दिया गया है। जिस पर आज तक किसी प्रकार का बीपीसीआर प्राप्त नहीं किया गया है। उच्च अधिकारियों के संज्ञान में नहीं है।
* शासकीय संस्थानों से प्राप्त ऑर्डर की दवाईयों निर्माण किये जाने हेतु खुले बाजार से दूध पाउडर क्रय किया गया है एवं तैयार दवाईयां महिला बाल विकास विभाग नर्मदापुरम में सप्लाई की गई हैं। क्रय की गई सामग्री किसी और संस्थान से ली गई एवं बिल किसी और के नाम से चार्ज किये गये हैं।
* खुले बाजार से दूध, नीबू, लहसुन एवं अदरक आदि अन्य पार्टी से कय किये जाते हैं एवं बिल अन्य नाम से लगाये जाते हैं। संस्था में पदस्थ गुणवत्ता नियंत्रक अधिकारी द्वारा दवाईयों का फार्मूला तैयार किया जाता है। उसी फार्मूला अनुसार दवाईयों का निर्माण होना चाहिये। उसके स्थान पर कच्ची सामग्री और सूखा सामग्री का मिश्रण तैयार करने में चक्की प्रभारी के मिली भगत से दवाईयां बनाई जा रही हैं, जो गुण्पत्ता नियंत्रण नियमों का उल्लंघन है। इस प्रकार दवाईयों के निर्माण में भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
*सीधी भर्ती के एसडीओ मणि शंकर मिश्रा को उत्पादन का प्रभार न देकर रेंजर श्रीमती सुनीता अहिरवार को पदस्थ किया गया, जो उनसे वरिष्ठता में जूनियर हैं। यह कृत्य अधिकारियों के मध्य कार्य विभाजन में संवितरण शक्तियों के विरूद्ध है।
अपनों को उपकृत करने फर्जी बिलिंग का खेला
नकली (फर्जी) बिल प्रस्तुत कर अपनों को उपकृत कर लाखों का भुगतान किया जा रहा है। प्रभारी एसडीओ सुनीता अहीरवार ख़ुद ही ख़रीदती है और ख़ुद ही पेमेंट करती है। जबकि इस काम के लिए परचेज सेल गठित होना चाहिये। बताया जाता है कि सांठ-गांठ कर फर्जी बिल लगाये जा रहे हैं। वन मेला के नाम करोड़ों का खर्चा दिखाया गया है। अग्रवाल ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि करोड़ों के बिल-वाउचर मशीनों के रख-रखाव के नाम चार्ज किये गये हैं ।
नहीं है आंतरिक गुणवत्ता समिति
उत्पादों की जांच के लिये कोई आंतरिक गुणवत्ता समिति नहीं है, जबकि वो आवश्यक है। उत्पाद फेल हो जाने पर कोई कार्यवाही नहीं करते जबकि उत्पादन प्रबंधक इसकी ज़िम्मेदारी है। उत्पाद निर्माण कार्य में 100 स्थायी कर्मी श्रमिकों के होने के बावजूद 350 प्राइवेट लेवर के द्वारा कार्य का भुगतान किया गया है, जो कि श्रमिक कुशलता कार्य दिवस के विरूद्ध है ।
इनका कहना
मैंने पत्र लिखा है. क्या-क्या लिखे हैं, यह मुझे याद नहीं है। मैं रोज कई पत्रों पर सिग्नेचर करता हूं, इसलिए याद नहीं है।
मनोज अग्रवाल एपीसीसीएफ
हां मनोज अग्रवाल का पत्र मिला है, मुझे उन बिंदुओं पर जांच करने पर कोई परहेज नहीं है। निश्चित तौर पर जांच होगी और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई होगी।
पीजी फुलझले, सीईओ प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र बरखेड़ा पठानी