स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के नतीजे गुरुवार को घोषित किए गए। स्वच्छता रैंकिंग में मध्य प्रदेश को दूसरे सबसे स्वच्छ राज्य का दर्जा मिला। इस मामले में महाराष्ट्र पहले स्थान पर रहा। स्वच्छ राज्यों में छत्तीसगढ़ तीसरे स्थान पर है। वहीं बात केण्टोमेंट श्रेणी की तो महू केंट को सबसे स्वच्ठ केण्टोमेंट एरिया घोषित किया गया है।
पिछले साल मध्य प्रदेश को देश का सबसे स्वच्छ राज्य चुना गया था, जबकि छत्तीसगढ़ दूसरे स्थान पर था। इस प्रकार दोनों राज्यों की रैंकिंग एक पायदान घट गई। नई दिल्ली के भारत मंडपम कन्वेंशन सेंटर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, शहरी एवं विकास मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय, राज्य मंत्री प्रतिमा बागड़ी भी दिल्ली पहुंचे हैं।
आपको बता दें कि 5 जनवरी को घोषणा की गई थी कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 की रैंकिंग 11 जनवरी को घोषित की जाएगी। अब गुरुवार को दिल्ली में केंद्रीय शहरी आवास मंत्रालय की ओर से देशभर के सबसे स्वच्छ शहरों की रैंकिंग की घोषणा की गई।
इसके साथ ही शहरी संस्थानों की स्वच्छता में रैंकिंग भी घोषित की गई इधर, सर्वेक्षण में अच्छी रैंकिंग मिलने के संकेत मिलने पर भोपाल नगर निगम की महापौर मालती राय, निगमायुक्त फ्रैंक नोबल ए, अपर आयुक्त विनीत तिवारी, उपायुक्त योगेन्द्र पटेल और एनजीओ की टीम स्वच्छता सर्वेक्षण के मुख्य कार्यक्रम में हिस्सा लेने दिल्ली पहुंची।
आपको बता दें कि 2017 और 2018 में भोपाल देश का दूसरा सबसे स्वच्छ शहर था। तब से यह हर साल पिछड़ता जा रहा है। इंदौर शुरू से ही नंबर वन रहा है। इसने अभी भी सबसे स्वच्छ शहर का ताज बरकरार रखा है। हालांकि, पिछले साल भोपाल 17वें स्थान से 11वें स्थान पर आ गया था।
शहर की मौजूदा आबादी 24 लाख तक पहुंच गई है। निगम के 19 जोन और 85 वार्डों में सफाई की जिम्मेदारी नगर पालिका के नौ हजार कर्मचारियों पर है। जिनमें से सात हजार कर्मचारी सिर्फ स्वास्थ्य विभाग में दैनिक वेतन भोगी हैं। प्रत्येक जोन में सहायक स्वास्थ्य प्रभारी, प्रत्येक वार्ड में निरीक्षक तथा प्रत्येक वार्ड में 25 से 30 कर्मचारी प्रतिदिन सफाई करते हैं। लेकिन निगम अधिकारी एनजीओ और कंसल्टेंट पर निर्भर हैं। एनजीओ को कर्मचारियों की मेहनत से ज्यादा महत्व दिया जाता है। इसलिए नगर पालिका हर साल पिछड़ जाती है।