भोपाल। नाम वापसी के लिए खासी जद्दोजहद के बावजूद मालवा- निमाड़ की कई सीटों पर कांग्रेस- भाजपा के पेंच उलझे नजर आ रहे हैं। रूठों को मनाने के लिए की गई तमाम कोशिशों के बाद कुछ मान गए, तो कुछ ने गुजारिश अनसुनी कर मैदान पकड़ लिया। अब चुनाव में खासी रोचक स्थिति बन गई है। ऊंट किस करवट बैठेगा, इस पर आम जनता कयास लगाने में जुट गई है। मालवा- निमाड़ में भाजपा के उन नेताओं की जिम्मेदारी पर भी चुनाव बाद मंथन होगा, जिन पर रूठों को मनाने की जिम्मेदारी थी। बहरहाल धार जिले की मनावर सीट से पूर्व मंत्री रंजना बघेल तमाम नाराजगी के बाद पार्टी हित में मैदान से हट गईं, वहीं धार सीट से राजीव यादव ऐन मौके गायब हो गए, जिन्हें भाजपा नेता खोजते रह गए। बुरहानपुर में नंदू भैया के पुत्र के तेवर कम नहीं हुए और महू में अंतरसिंह दरबार ने प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर अपने इरादे साफ कर दिए। उधर देपालपुर में हिन्दूवादी नेता राजेंद्र चौधरी ने भी भाजपा को स्पष्ट संकेत देकर कह दिया कि वे मैदान में ही रहेंगे। जोबट में भाजपा की तमाम कोशिशों के बाद भी माधो दादा नहीं माने और आलीराजपुर में वकीलसिंह ठकराला ने भी भाजपा को झटका दे दिया।
रोचक स्थिति बन गई धार की
धार में कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों को बागियों का दंश झेलना पड़ रहा है। अब मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया है, जिसमें भाजपा के कद्दावर नेता विक्रम वर्मा की राजनीति का अस्तित्व दांव पर लगा है। तमाम कोशिशों के बाद भी भाजपा के बागी राजीव यादव नहीं माने। उधर कांग्रेस के बालमुकुंद सिंह गौतम की पत्नी प्रभा गौतम को भी कुलदीप बुंदेला की बगावत का सामना करना पड़ेगा।
बुरहानपुर में नहीं माने हर्ष नंदकुमार सिंह चौहान
नंदू भैया के पुत्र हर्षवर्धन सिंह को मनाने के लिए पार्टी के तमाम नेता जुटे थे। उम्मीद थी कि वे नाम वापस लेंगे, मगर उन्होंने मैदान में डटे रहने का फैसला कर लिया। इस सीट पर अब अर्चना चिटनीस त्रिकोणीय मुकाबले में हैं।
जोबट में माधो दादा की हुंकार
पूर्व विधायक माधोसिंह डाबर पार्टी के फैसले से नाराज होकर बगावत कर बैठे। पार्टी के तमाम बड़े नेताओं ने उन्हें मनाया, मगर माधो दादा पर कोई असर नहीं हुआ। ताजा- ताजा भाजपाई हुए विशाल रावत को कांग्रेस और दादा दोनों चुनौतियों का सामना करना होगा।
आलीराजपुर में पूर्व जिलाध्यक्ष बने भाजपा का संकट
आलीराजपुर में पूर्व जिलाध्यक्ष वकीलसिंह ठकराला पार्टी के फैसले के विरोध में मैदान में डट गए थे। उन्होंने पार्टी नेताओं के फरमान को अनसुना कर छोटे भाई सुरेंद्रसिंह ठकराला का नामांकन भी जमा करवा दिया। इस सीट पर भी अब त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बन गई है।
कांग्रेस के बाद आप को भी दिया जेवियार ने झटका
झाबुआ में टिकट की दावेदारी कर रहे जेवियार मेढ़ा ने आप पार्टी का दामन थामकर मैदान पकड़ा था। ऐन मौके उन्होंने अपना नामांकन वापस लेकर आप पार्टी को झटका दे दिया। कांग्रेस में उन्हें वापसी का क्या उपहार मिलेगा, यह तो नहीं पता, पर डॉ. विक्रांत भूरिया फिलहाल फीलगुड के जोन में आ गए हैं।
महू में दरबार ने दी पार्टी को सीधी चुनौती
इंदौर की महू सीट से कांग्रेस ने रामकिशोर शुक्ला को प्रत्याशी घोषित किया, तभी से पूर्व विधायक अंतरसिंह दरबार के तेवर कड़े हो गए थे। गुरुवार सुबह दरबार ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर अपने इरादे साफ कर दिए। इस सीट पर भी अब त्रिकोणीय संघर्ष तय हो गया है।
देपालपुर में नहीं माने चौधरी
इंदौर जिले की देपालपुर सीट पर तीखे तेवर दिखाने वाले हिन्दूवादी नेता राजेंद्र चौधरी पार्टी की तमाम कोशिशों के बाद भी मैदान से हटने को तैयार नहीं हुए। इस सीट पर पहली बार त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है, जो जनचर्चा का विषय भी बना हुआ है।
बड़नगर में कांग्रेस के सोलंकी ने थामा बगावत का झंडा
उज्जैन जिले की बड़नगर सीट पर कांग्रेस को टिकट बदलने के कारण एक नए संकट का सामना करना पड़ रहा है। इस सीट पर मौजूदा विधायक मुरली मोरवाल अपने पुत्र पर लगे दुष्कर्म के आरोप में घिरे हुए हैं। पार्टी ने राजेंद्र सिंह सोलंकी को टिकट दिया। मोरवाल खेमे द्वारा किए विरोध के बाद पार्टी ने फैसला बदल दिया, मगर यह बात सोलंकी को नागवार गुजरी और अब वे खम ठोंककर मैदान में आ गए हैं।