शहर का बड़ा तालाब हो या प्रदेश हनुमंतिया टापू, बरंगी बांध, नर्मदापुरम का तवा जलाशय, कहीं भी मोटर बोट और क्रूज की सवारी नहीं होगी। ऐसा करते पाए जाने वालों पर कार्यवाही की जाएगी। इन तालाबों व जलाशयों के किनारे जितने भी बड़े और पक्के निर्माण होंगे, उन्हें भी तोड़ना होगा। इन जल स्त्रोतों को जल प्रदूषण से बचाने के लिए एनजीटी ने यह आदेश दिया है। साधारण नावों पर किसी तरह की रोक नहीं रहेगी।
असल में बीते कुछ वर्षों से मप्र के तालाबों व जलाशयों में जल पर्यटन को काफी तवज्जों दी जा रही है लेकिन इसके लिए क्रूज व मोटर बोट चलाने का जो तरीका अपनाया जा रहा था उसकी वजह से पानी प्रदूषित हो रहा था। मछलियों दूसरे जीवों के जीवन पर विपरित असर पड़ रहा था। हाल ही में एक रिपोर्ट भी आई थी कि जल प्रदूषण के कारण मछलियों का आकार छोटा होता जा रहा है।
इन तमाम कारणों को देखते हुए पर्यावरणविद डॉ. सुभाष सी पांडे ने एनजीटी में एक याचिका लगाई थी। जिस पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए एनजीटी ने आदेश दिया है कि यदि क्रूज एक बड़ी संख्या के मनोरंजन के लिए चलाए जा रहे हैं तो माना जाएगा कि उद्योग चल रहा है। यह व्यावसाय के दायरे में आएगा। जलस्त्रोतों में प्रदूषण नियमों की निगरानी और सहमति के बिना इनका संचालन संभव नहीं है। वर्तमान में बड़े तालाब में जो क्रूज चल रहा है, वो एयर एक्ट 1981, वाटर एक्ट 1974, अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2000, एनवायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट 1986 और वेटलैंड रुल्स 2016 का उल्लंघन है। प्रतिवदियों द्वारा इसमें पर्यावरणीय नियमों पालन संबंधी कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए, इसीलिए इनके द्वारा भोज वेटलैंड सहित मप्र राज्य की सभी वाटर बाडी में मोटर बोट और क्रूज चलाना अवैध है। ऐसे में इन नियमों के उल्लंघन की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
लेकिन एनजीटी ने दिखाया रास्ता
एनजीटी ने आदेश में कहा है कि प्रदेश के वो जलाशय जो वेटलैंड नहीं हैं, ऐसी समस्त वाटर बाडी में फोर स्ट्रोक इंजन की बोट चलाई जा सकती है, जो कि पूर्व से कुछ देश में चल भी रहा है लेकिन यह पर्यावरणीय नियमों के अनुकूल होना चाहिए।
केंद्र सरकार व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जिम्मेदारी तय की
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि वेटलैंड नियमों का पालन कराने के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गाइडलाइन बनाएं। मध्यप्रदेश वन विभाग और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कहा है कि रिजर्व फारेस्ट, नेशनल पार्क व ईकोसेंसटिव जोन के अंदर ऐसी गतिविधियों का संचालन हो रहा हो तो पूरी तरह और सख्ती से बंद कराए। यदि संचालन हो रहा है तो सुनिश्चित किया जाए कि उससे नुकसान न हो। वहीं वेटलैंड नियमों का पालन कराने के लिए एनजीटी ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मिलकर एसओपी तैयार करें।