जंगल महकमे में पावर और पैसे के दम पर मिलता है ऊंचे पदों के प्रभार


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स्टोरी हाइलाइट्स

प्रभार के खेल की पोल खोलता एक डिप्टी रेंजर का वीडियो वायरल..!!

भोपाल: जंगल महकमे में ऊंचे पदों के प्रभार लेने के लिए पावर के साथ-साथ पैसे भी खर्च करने पड़ते हैं। यह राशि भी लाखों में होती है। एक डिप्टी रेंजर के वायरल वीडियो के अनुसार रेंज का प्रभार लेने के लिए उसे ₹500000 तक खर्च करना पड़े। यही नहीं, जब वन विभाग के आदेश के तहत वंदना ठाकुर की पदस्थापना खातेगांव रेंज में की गई तब उन्हें गौड़ से प्रभार लेने के लिए काफ़ी मशक्क़त करना पड़ी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि एसडीओ, डीएफओ और सीएफ के प्रभार पाने के लिए कितने राशि खर्च करने पड़ते होंगे? वन विभाग में कई बड़े पद प्रभार में चल रहे है। मंडला,  डिंडोरी सहित आधा दर्जन से अधिक वन मण्डलों में प्रभार के खेल खूब फूल-फल रहा है। अनूपपुर वन मंडल में तो एक डिप्टी रेंजर को तीन-तीन रेंज के प्रभार दिए गए हैं।

प्रभार के खेल की पोल खोलते हुए खातेगांव डिप्टी रेंजर मानसिंह गौड़ का वायरल वीडियो में स्पष्ट तौर पर यह बोलते सुनाई दे रहे हैं कि खातेगांव रेंज का प्रभार लेते समय मैंने ₹500000 खर्च किए। वायरल वीडियो में गौड़ यह भी कह रहे हैं कि खातेगांव रेंज का प्रभार लेने के बाद मैंने 30 गुना 50 (1500 स्क्वायर फीट ) प्लांट साइट पर बने सिंगल मंजिल को दूसरी डबल मंजिल तब्दील कर दी और एक नई गाड़ी भी ले ली। इससे अंदाजा लगाए जा सकता है कि पावर और पैसे का इस्तेमाल करके कितनी राशि कमाई जा सकती है?  यह तो महज एक उदाहरण है।

पिछले कुछ वर्षों से वन विभाग में प्रभार का खेल लंबे समय से चल रहा है। यह केवल डिप्टी रेंजर और रेंज तक ही सीमित नहीं है बल्कि एसडीओ, डीएफओ, सीएफ और सीसीएफ के प्रभार भी इसी पावर और पैसे के दम पर वितरित किए गए है। प्रभार देने का कोई नियम भी नहीं बनाए गए हैं ना ही कोई मापदंड है। राजनीतिक रसूख की सिफारिश से सीनियर अधिकारी अपने चहेते को उपकृत करते आ रहें है. आईएफएस अफसरों के बीच यह खेल अनुसंधान विस्तार की रिक्त पदों के लिए खेला गया है।

इनका कहना:-
डिप्टी रेंज मानसिंह गौड़ के वायरल वीडियो को लेकर उज्जैन सीसीएफ मस्तराम बघेल से बात की तो उन्होंने कहा कि हम इसकी जांच करवारेगे।