विधानसभा चुनाव की ड्यूटी में लगे लाखों कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी का मानदेय भुगतान चुनाव संपन्न होने की तिथि को ही देने के चुनाव आयोग के आदेश का पालन नहीं होने से नाराजगी है। बताया जा रहा है कि इंदौर कलेक्टर को छोड़कर प्रदेश के किसी भी कलेक्टर ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के आदेश का पालन नहीं किया है। जिलों के कलेक्टर चुनाव ड्यूटी में लगे लाखों कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी के मानदेय भुगतान करने में दोहरे मापदंड अपना रहे हैं।
दरअसल इस मामले में, निर्वाचन आयोग ने चुनाव ड्यूटी में लगे सरकारी कर्मचारियों के चुनाव ड्यूटी का मानदेय भुगतान करने के लिए चुनाव संपन्न होने से पूर्व ही बजट की राशि जिला निर्वाचन अधिकारियों को आवंटित कर दी थी। इस राशि के आधार पर ही इंदौर कलेक्टर ने चुनाव ड्यूटी संपन्न होने के बाद 17 नवंबर को 10800 कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी का मानदेय 1, 18 करोड़ रुपए का भुगतान बैंक खाते में भेज दिया।
जबकि जबलपुर कलेक्टर ने एक नया आदेश जारी करके कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी का मानदेय का भुगतान करने के निर्देश कर्मचारियों के विभागों के जिला अधिकारी को दिए। इस मामले में अब आपत्ति जताई जाने लगी है। मप्र कर्मचारी मंच ने कहा है कि जब निर्वाचन आयोग ने चुनाव ड्यूटी के मानदेय के भुगतान की राशि जिला कलेक्टरों को आवंटित की है तो कर्मचारियों का विभाग किस आधार पर चुनावी ड्यूटी के मानदेय भुगतान करेगा? उन्होंने आरोप लगाया है कि चुनाव ड्यूटी के मानदेय भुगतान करने में जानबूझकर लापरवाही कर रहे हैं। किसी भी जिले में कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी का मानदेय का भुगतान नहीं हो सका है।