BHOPAL News: राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार करने पर लोकायुक्त प्रकरण में न्यायालय से सजा पाने वाले वन विभाग के एसीएफ एवं वनपाल जोकि अब सेवानिवृत्त हैं, की पेंशन स्थाई रुप से रोकने की निर्णय लिया है।
व्हीके त्रिपाठी खण्डवा रेंज में जब रेंजर के पद पर पदस्थ थे तब लोकायुक्त ने अनुपातहीन संपत्ति अजित करने का प्रकरण दर्ज कर 21 दिसम्बर 1993 को विशेष न्यायालय इंदौर में अभियोग-पत्र पेश किया और न्यायालय ने 26 जुलाई 2013 को उसे भ्रष्टाचार करने का दोषी पाते हुये 3 वर्ष के कारावास एवं 25 हजार रुपये के जुर्माने से दण्डित किया।
हाईकोर्ट खण्डपीठ इंदौर से त्रिपाठी ने सजा पर स्थगन आदेश ले लिया परन्तु जुर्माना भर दिया। अब सेवानिवृत्त एसीएफ त्रिपाठी को वन विभाग ने उसकी पेंशन स्थाई रुप से रोकने के दण्ड से दण्डित किया है। इसी प्रकार, टीएन भारद्वाज सामाजिक वनमंडल ग्वालियर में जब वनपाल के पद पर पदस्थ थे तब उन्होंने 87 हजार रुपये के फर्जी बिल तैयार कर आर्थिक अनियमितता की जिस पर लोकायुक्त ने प्रकरण दर्ज कर 28 मई 2014 को विशेष न्यायालय ग्वालियर में अभियोग-पत्र प्रस्तुत किया।
29 नवम्बर 2022 को न्यायालय ने भारद्वाज को भ्रष्टाचार का दोषी पाते हुये 3 वर्ष के कारावास एवं 4 हजार रुपये के दण्ड से दण्डित किया। अब भारद्वाज को भी वन विभाग ने उसकी पेंशन स्थाई रुप से रोकने के दण्ड से दण्डित किया है।