मध्यप्रदेश में ड्राइवर की हड़ताल के कारण पेट्रोल और डीजल को लेकर घमासान मचा हुआ है। दो दिन से चल रहे पेट्रोल-डीजल संकट से फल, सब्जियां, दूध, कृषि उपज जैसी जरूरी वस्तुओं का परिवहन प्रभावित हो रहा है। अधिकांश शहरों में पेट्रोल और डीजल पंप या तो ड्राई हो चुके हैं ड्राई होने की कगार पर हैं। किल्लत के कारण कुछ पेट्रोल पम्पों पर अधिक दाम लिए जाने की शिकायतें आई वहीं ई रिक्शा चालक भी मनमाना किराया वसूलते नज़र आये। वहीं प्रशासन पेट्रोल डीजल की कमी से इंकार कर रहा है।
राज्य के कई जिलों में पेट्रोल पंप भी बंद हो गये हैं। साथ ही मंगलवार को स्कूल बसें और वैन भी नहीं चल रही हें। सोमवार शाम तक अभिभावकों के पास संदेश पहुंच गए थे कि वे अपने बच्चों को खुद स्कूल छोड़ें। कुछ स्कूलों ने कहा कि वे ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करेंगे।
वहीं भोपाल शहर के 24 रूटों पर चलने वाली 368 लो-फ्लोर बसें सोमवार को नहीं चलीं। डेढ़ लाख से अधिक यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। करीब 5 हजार से ज्यादा टैक्सी और 6 हजार से ज्यादा ऑटो के ज्यादातर ड्राइवर अपने वाहन सड़क पर नहीं उतारे। ई-रिक्शा संचालक तीन गुना किराया वसूल रहे हैं।
इधर ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष अमृतलाल मदान का कहना है, कि ड्राइवर स्वैच्छिक हड़ताल पर हैं। ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल पर मंगलवार को दिल्ली में होने वाली बैठक में फैसला लिया जाएगा। ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने कहा कि देश में 95 लाख ट्रक हैं। इसमें से 30 लाख से अधिक का परिचलन नहीं हो पा रहा है।