BMHRC में शुरू होगा बोन मैरो ट्रांसप्लांट सेंटर, पूरी होगी डॉक्टरों की कमी


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स्टोरी हाइलाइट्स

केंद्र सरकार ने सहमति दी, डॉक्टरों ने आमद भी दर्ज कराना शुरू किया, बोन मैरो ट्रांसप्लांट केंद्र भी खुलेगा..!

भोपाल मेमोरियल अस्पताल में डॉक्टरों की कमी पूरी होगी। इसकी शुरूआत हो चुकी है। कुछ विभागों ने हाल ही में डॉक्टरों ने ज्वाइन किया है और हाल ही में नेफोलाजी (गुर्दा रोग विभाग) और गैस्ट्रोएंट्रोलाजी (उदर रोग विभाग) में जल्द ही एक-एक फैकल्टी ने काम संभाल लिया है।

कैसा होगा बोन मैरो ट्रांसप्लांट केंद्र: यह 50 बेड वाला होगा। जिसमें रासायनिक, जैविक, रेडियोलाजिकल और परमाणु दुर्घटनाओं के संपर्क में आने वाले पीड़तों की जांच व इलाज भी हो सकेगा। इसमें ट्राइएज, परिशोधन, जैव- नियंत्रण सुविधा, प्रयोगशाला, आपरेशन थियेटर, एंबुलेंस होगी। इसे वर्ष 2026 के अंत तक शुरू करना होगा।

गैस पीड़ितों को ही नहीं, आम मरीजों को भी मिलेगा इलाज

यह अस्पताल वर्ष 2000 में गैस पीड़ितों के लिए केंद्र ने बनवाया था। यह शोध संस्थान भी है। आमतौर पर यह अस्पताल गैस पीड़तों के इलाज के लिए ही जाना जाता रहा है लेकिन यह आम मरीजों का भी इलाज होता है। जब यह बोन मैरो ट्रांसप्लांट केंद्र खुलेगा तो आम मरीज भी इलाज करा सकेंगे।

ये होंगे फायदें

आमतौर पर बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराने में 30 लाख रुपये तक खर्च होते हैं। कई बार तो रुपये खर्च करने के बाद भी ठीक से और समय पर इलाज नहीं मिल पाता है। यहखर्च कुछ निजी अस्पतालों का है। शासकीय अस्पतालों में कर्म खर्च आता है। भोपाल मेमोरियल अस्पताल में भी कम खर्च आएगा।

ये डॉक्टर आए

डॉ संजुक्ता घोष ने मनोचिकित्सा विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर आए हैं। नेफोलाजिस्ट डॉ दिनेश उपाध्याय हर गुरुवार को मरीजों को परामर्श देंगे, जबकि गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ सारांश जैन हर बुधवार और गुरुवार को ओपीडी में उपलब्ध रहेंगे। डॉ. संजुक्ता घोष मनोचिकित्सा विभाग की ओपीडी में परामर्श के लिए उपलब्ध रहेंगी। मनोचिकित्सा विभाग की ओपीडी हर सोमवार, मंगलवार, गुरुवार और शुक्रवार को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक है।