कूनो में चौथे शावक की हालत भी गंभीर, अब तक 6 चीतों की मौत


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स्टोरी हाइलाइट्स

आखिरी शावक की हालत भी गंभीर है. शावक की मौत का कारण कमजोरी बताई जा रही है..!

भोपाल: प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में साउथ अफ्रीका से लाई गई मादा चीता ज्वाला के दो शावकों की गुरुवार (25 मई) को मौत हो गई है. आखिरी शावक की हालत भी गंभीर बनी हुई है. शावक की मौत का कारण  कमजोरी, सामान्य से कम वजन और डिहाइड्रेशन बताया जा रहा है.

पीसीसीएफ वन्य प्राणी जेएस चौहान ने बताया कि 23 मई यह दिन सर्वाधिक तापमान वाला दिन रहा. दिन में अधिकतम तापमान और गर्म हवाएं चलती रही. इसके कारण तीनों शावकों की असामान्य स्थिति को देखते हुए प्रबंधन एवं चिकित्सकों की टीम ने तत्काल तीनों शावकों को रेस्क्यू कर आवश्यक उपचार शुरू कर दिया गया. दो शावकों की स्थिति अत्यधिक खराब होने से उपचार के सभी प्रयासों के बावजूद बचाया नहीं जा सका. एक शावक गंभीर हालत में है. इसके उपचार के लिए नामिबिया और साउथ अफ्रीका के सहयोगी चीता एक्सपर्ट और चिकित्सकों से लगातार सला ली जा रही है. चौहान ने कहा कि चीता ज्वाला के स्वास्थ्य स्वास्थ्य बताया है किंतु उसकी भी लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है. इससे पहले भी कूनो नेशनल में साउथ अफ्रीका से लाए गए तीन बड़े चीतों की मौत हो चुकी थी. ऐसे में कुल छह चीतों की अब तक मौत हो चुकी है.

साउथ अफ्रीका के एक्सपर्ट मर्व ने जताई चिंता

शावकों की मौत पर साउथ अफ्रीका वाइल्डलाइफ स्पेशलिस्ट विंसेट वान डेर मर्व ने चिंता वयक्त की और कहा कि भारत को चीतों के दो से तीन निवास स्थलों पर बाड़ लगानी चाहिए, क्योंकि इतिहास में बिना बाड़ वाले अभयारण्य में चीतों को फिर से बसाए जाने के प्रयास कभी सफल नहीं हुए हैं. वान डेर मर्व ने बताया कि चीतों को फिर से बसाए जाने की परियोजना के दौरान आने वाले कुछ महीनों में तब और मौत होने की आशंका है, जब चीते कूनो नेशनल पार्क में अपने क्षेत्र स्थापित करने की कोशिश करेंगे और तेंदुओं, बाघों से उनका सामना होगा.

बुरी स्थिति आना अभी है बाकी

सुप्रीम कोर्ट ने भी मप्र के कूनो नेशनल पार्क में जगह की कमी पर चिंता व्यक्त की है और चीतों को अन्य नेशनल पार्को में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया है.यहां तक कि उच्चतम न्यायालय ने भी मप्र के कूनो अभयारण्य में जगह की कमी पर चिंता व्यक्त की है और चीतों को अन्य अभयारण्यों में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया है.उन्होंने अगले कुछ महीनों में कूनो अभयारण्य में और अधिक चीतों की मौत होने की आशंका जताई. चीते निश्चित रूप से अपने क्षेत्र स्थापित करना और अपने क्षेत्रों एवं मादा चीतों के लिए एक दूसरे के साथ लड़ना और एक दूसरे को मारना जारी रखेंगे.उनका तेंदुओं से आमना-सामना होगा. कूनो में अब बाघ घूम रहे हैं. मौत के मामले में सबसे बुरी स्थिति आना अभी बाकी है.