जागरण लेक सिटी यूनिवर्सिटी के गेट पर टाईगर घूमता दिखा


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स्टोरी हाइलाइट्स

डीजे के शोर-शराबे से वन्य प्राणियों के जीवन शैली में दखल..!!

भोपाल। प्रदेश की राजधानी के  नगर निगम सीमा से सटे क्षेत्र में एक दर्जन से ज्यादा बाघों की लगातार उपस्थिति बनी हुई है। इसी कड़ी में गुरुवार की सुबह-सुबह ग्राम चंदनपुरा स्थित जागरण लेक सिटी यूनिवर्सिटी के गेट पर टाइगर घूमता दिखा। वहां कार से घूम रहे नागरिक ने वीडियो बनाया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। एक तरफ भोज यूनिवर्सिटी मैं तेंदुए का दिखना और बाघ का मूवमेंट होना इस क्षेत्र को जंगल होने की पुष्टि करता है।

भोपाल से लगे जंगल में बाघ की उपस्थिति वर्षों से रही है। आबादी बढ़ने के साथ-साथ बाघों के प्राकृतिक रहवास में मानव बसाहट एवं शैक्षणिक संस्थाओं का निर्माण हो जाने के बावजूद  मानव एवं वन्यप्राणी द्वंद की स्थिति निर्मित हुई है। यद्यपि  वन विभाग के सक्रियता से आज तक मानव एवं वन्यप्राणी का द्वंद नही हुआ है। कलियासोत के पास  पहाडी में बाघ के लिये स्थल भी है। जिसे बाघ गुफा कहते है और अक्सर बाघ यहां आकर विश्राम करते है। इस क्षेत्र में वन्यप्राणियों के पानी-पीने के लिये जल स्त्रोत का भी निर्माण किया गया है।

डीजे बजने के बाघों की दिनचर्या में खलल

राज्य सरकार की लापरवाही के चलते ग्राम चंदनपुरा में एमएन क्लब में  तेज़ डीजे के साथ एक निजी फार्म हाउस पर शादी एवं पार्टी का आयोजन निरंतर होता रहता है। ऐसे आयोजनों की वन प्राणियों के लिए काम करने वाले रशीद नूर द्वारा कई बार जिला प्रशासन एवं वन विभाग को शिकायत कर चुके है किंतु जिला प्रशासन में कोई कार्यवाही नहीं की। वन विभाग इसलिए कार्यवाही नहीं करता क्योंकि यह इलाका राजस्व वन क्षेत्र में आता है। इसी क्षेत्र में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने भी अपनी रिपोर्ट में यहां हो रही ग़ैर वानिकी गतिविधियों की रिपोर्ट  माननीय NGT को प्रस्तुत की थी । उसके बाद भी आज तक कई रसूखदारों पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। 

0.6 घनत्व के जंगल में तबदील हो गया

लगभग 357.813 हेक्टेयर राजस्व वन क्षेत्र है। वर्ष 2003 में राजस्व विभाग द्वारा वन विभाग को हाईटेक वृक्षारोपण के लिए  स्थानांतरित किया गया था। वन विभाग ने इस क्षेत्र को पूर्ण रूपेण से चैनलिंक फैंसिंग कर वृक्षारोपण किया। वृक्षारोपण एवं सुरक्षा सें यह क्षेत्र लगगग 0.6 घनत्व के जंगल में तबदील हो गया है। अब यह क्षेत्र वन्यप्राणी खासतौर से बाघ के लिए आदर्श रहवास का कार्य कर रहा है।