MP Politics: विंध्य के राजनीतिक गलियारों में एक सवाल सुर्खियों में है कि क्या विंध्य क्षेत्र के एक कद्दावर कांग्रेसी नेता अजय सिंह राहुल को एक बार फिर हाशिए पर धकेलने की साजिश तेज हो गई है? इस सवाल की प्रतिध्वनि उस दिन से सुनाई देने लगी जब कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी में कमलेश्वर पटेल को शामिल किया गया था.
स्वर्गीय अर्जुन सिंह की पुत्री और अजय सिंह की बहन वीणा सिंह की भोपाल में अचानक सक्रियता बढ़ने के बाद से हाशिए पर धकेलने संबंधित खबरों को और बल मिल गया. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 2018 का चुनाव में कांग्रेस नेताओं के बड़ी साजिश के कारण ही अजय सिंह चुरहट में चुनाव हार गए थे.
मप्र विधानसभा चुनाव के 3 महीने पहले अचानक मीना सिंह का मन की किताब के बहाने भोपाल आना और कांग्रेस के नेताओं खासकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, अजय सिंह से राजनीतिक शत्रुता रखने वाले पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह का साथ देना, यूं ही नहीं है. राजनीतिक वैज्ञानिक विधानसभा चुनाव के वक्त इसे अजय सिंह को हाशिए पर धकेलना की साजिश से जोड़कर देख रहे हैं.
पिछले दिनों बनी कांग्रेस की चुनावी कमेटी में नाम शामिल नहीं किया जाना, इसका प्रमाण है. खासकर स्क्रीन कमेटी में अजय सिंह की जगह पर विंध्य क्षेत्र से कमलेश्वर पटेल का शामिल किया गया. जबकि, कांग्रेस में स्वर्गीय अर्जुन सिंह और स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी के निधन के बाद विंध्य क्षेत्र की राजनीति के सबसे कद्दावर नेता तो है ही और विंध्य की राजनीति को अच्छी तरह से समझते भी हैं.
उनका मानना है कि कांग्रेस के ही कुछ नेता बहन के जरिए भाई अजय सिंह को घेरने का खेल रहे हैं. उनका यह भी कहना है कि प्रदेश कांग्रेस में अजय सिंह को हाशिए पर धकेलने की कोशिश लंबे समय से चल रही है. 2018 के विधानसभा चुनाव में उनकी हार के साथ कोशिश कामयाब हो गई थी.
अवश्यंभावी और भावी के बीच सीएम के दावेदार
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2018 प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के नेतृत्व में लड़ी. चुनाव में सफलता मिली और मुख्यमंत्री कमलनाथ बने. 15 महीने में ही राजनीतिक महत्वाकांक्षी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विभीषण की भूमिका अदा की और कांग्रेस की सरकार सत्ता से बेदखल हो गई. तब से अब तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ पूरी ताकत से सत्ता में वापसी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. कांग्रेस के नेता से लेकर कार्यकर्ता भी यह मानकर चल रहे हैं कि सफलता मिली तो अगले मुख्यमंत्री कमलनाथ ही होंगे. पार्टी हाईकमान ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित नहीं किया है.
प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया को बनाए जाने के बाद आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग उठने लगी और उन्हें मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में देखा जाना लगा है. इसी प्रकार 2018 के चुनाव और अब भी पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को भी सीएम दावेदार माना जा रहा है. हालांकि, उन्होंने सीएम पद की दावेदारी कभी नहीं की. अघोषित दावेदारी को लेकर कांग्रेस के कट पर बड़े नेता भयभीत है. यही वजह है कि उन्हें हाशिए पर धकेलने की साजिश लंबे समय से चल रही है.
'बघेली मुहावरों और कहावतों' का विमोचन आज-
स्वर्गीय अर्जुन सिंह की पुत्री वीणा सिंह विजय गुरुवार को मीडिया के सामने आई. तब उनके साथ पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष एवं रिश्ते के मामा राजेंद्र सिंह साथ थे. वीणा सिंह ने बताया कि अपने पिता स्वर्गीय अर्जुन सिंह के नाम पर सद्भावना फाउंडेशन स्थापित किया है.
इस ट्रस्ट मुख्य दृष्टि पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहसिना किदवई के साथ-साथ कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, विवेक तंखा, राजेंद्र सिंह और सैम वर्मा ट्रस्टी है. वीणा सिंह ने अपनी मां सरोज कुमारी की बघेली कहावतें और मुहावरे को लेकर एक पुस्तक प्रकाशित की है, जिसका विमोचन 12 अगस्त शनिवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ करने जा रहे हैं.