भोपाल: अब राज्य का वन विभाग वर्किंग प्लान में निजी भूमियां शामिल नहीं करेगा। इसके निर्देश राज्य शासन ने वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव को जारी किये हैं।\
जारी निर्देश में कहा गया है कि कार्य आयोजना अधिकारी अधिसूचित वनभूमि के अतिरिक्त कोई भी अन्य क्षेत्र कार्य आयोजना में शामिल नहीं करेंगे। उल्लेखनीय है कि वनमंडलों की दस साला कार्य योजना बनाई जाती है तथा इसी कार्य योजना के तहत वृक्षों का विदोहन होता एवं अन्य गतिविधियां की जाती हैं। निर्देश में आगे कहा गया है कि जो भूमि अधिसूचित वन है, उसकी अधिसूचना की प्रति राजस्व विभाग को उपलब्ध कराते हुए वनमण्डलाधिकारी राजस्व अभिलेख में उसकी स्थिति अद्यतन करेंगे व अद्यतन रिकार्ड की कॉपी वनमण्डल में संधारित करेंगे।
वन मुख्यालय यह सुनिश्चित करेगा कि सभी जिलों में यह कार्य 30 अक्टूबर 2024 के पूर्व पूर्ण कर लिया जाये। इसके अलावा, वनखण्ड की सीमाओं पर मुनारे बनाने के पूर्व वन सीमा का राजस्व विभाग के साथ संयुक्त सीमांकन कर मुनारे सही जगह पर बनायी जायेंगी। बिना सीमांकन के जीपीएस के आधार पर बनाये गये मुनारे त्रुटिपूर्ण हो सकते हैं जिससे सीमा विवादों की स्थिति निर्मित होती है। इसलिये संयुक्त सीमांकन उपरान्त ही मुनारे बनाई जायें।
निर्देश में कहा गया है कि पूर्व में निर्वनीकृत वनभूमि को कार्य आयोजना में तभी शामिल किया जाये यदि जिला कलेक्टर द्वारा वन विभाग के पक्ष में ऐसी किसी भूमि के खसरे का लिखित में आवंटन किया गया हो। ऐसी भूमियों को शीघ्र अतिशीघ्र वनभूमि अधिसूचित करने की कार्यवाही की जाये। जो भूमियां आरक्षित वन बनाये जाने हेतु भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा-4 में अधिसूचित हैं, इनमें विशेष अभियान चलाकर धारा-5 से 19 तक की कार्यवाही पूर्ण की जाये।
इस कार्य हेतु वन व्यवस्थापन अधिकारी को सहयोग प्रदाय किये जाने के लिये प्रत्येक जिले में एक उप वनमण्डलाधिकारी को नामांकित कर जिम्मेदारी सौंपी जाये तथा प्रत्येक 15 दिवस में इस कार्य की प्रगति की समीक्षा की जाये। जो भूमियां किसी भी वनखण्ड का हिस्सा नहीं है और त्रुटिपूर्ण धरातल पर गलत सीमा निर्धारण के कारण कार्य आयोजना में सम्मिलित कर ली गई हैं ऐसी भूमियों की सीम दुरूस्त कर कार्य आयोजना से पृथक करने की कार्यवाही की जाये। ऐसी भूमियों में निजी भूमियां भी शामिल हैं जो वनखण्ड में शामिल कर ली गई हैं।