भोपाल: प्रदेश में अब पुलिस अपराधियों की हिस्ट्री शीट उनकी जातियों के अनुसार नहीं बनायेगी। इसके ताजा निर्देश पुलिस मुख्यालय की सीआईडी शाखा के एडीजीपी पवन कुमार श्रीवास्तव ने डीजीपी के निर्देश पर सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को इस संबंध में परिपत्र जारी किया है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली ने एक आपराधिक अपील अमानतुल्लाह विरूद्ध पुलिस आयुक्त दिल्ली एवं अन्य में, अपराधियों के इतिहास वृत्त (हिस्ट्री शीट) तैयार करने में बरती जाने वाली सावधानी के संबंध में पिछले दिनों आदेश पारित किया है तथा इसी आदेश के परिपालन में यह परिपत्र जारी किया गया है।
परिपत्र में कहा गया है कि अपराधियों का हिस्ट्री शीट तैयार करते ध्यान में रखा जाये कि किसी भी पिछड़े समुदायों एवं अनुसूचित जनजातियों के लोगों के साथ-साथ आर्थिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों के नाम केवल इस कारण से कि वे उक्त जाति, जनजाति अथवा समाज के हैं, हिस्ट्री शीट में उनकी प्रवृष्टि न की जाये क्योंकि अक्सर इस प्रकार की धारणाएं ऐसे समाज से जुड़ी हैं, प्रचलित रूढिय़ों के कारण उन्हें अदृश्य पीडि़त बना देती है जो उनके आत्म सम्मान के साथ जीवन जीने के अधिकार को बाधित कर सकती है।
इसके अलावा परिपत्र में कहा गया है कि विधि का विरोध करने वाले बालक या देखभाल एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक या बाल पीडि़त की पहचान का खुलासा करने पर प्रतिबंध है। हिस्ट्री शीट तैयार करते समय अपराधी के नाबालिग रिश्तेदार अथवा उसके पुत्र, पुत्री, भाई, बहन का कोई विवरण तब तक दर्ज नही करना चाहिये जब तक की इस बात की साक्ष्य न हो कि उक्त नाबालिग रिश्तेदार अथवा पुत्र, पुत्री, भाई, बहन द्वारा अपराधी को कोई आश्रय दिया है या आश्रय दे सकता है जब वह पुलिस से भाग रहा था।
इसी प्रकार, अपराधी की हिस्ट्री शीट में उससे जुड़े व्यक्तियों की विशेष प्रकृति के संबंध में नोट कर टिप्पणी लेख की जानी चाहिये साथ ही उनके फोन नम्बर या मोबाइल नम्बर एवं उनके संबंधी रिश्तेदारों की जानकारी लेखकर उसे रिकॉर्ड में रखी जाना चाहिये। ऐसे व्यक्तियों के आधार नम्बर, एपिक नम्बर, ई-मेल आईडी, सोशल मीडिया एकाउन्ट, प्रोफाइल जैसे, फेसबुक, इंस्टाग्राम आईडी, ट्वीटर आईडी भी अभिलेख पर रखी जानी चाहिये।
हिस्ट्री शीट की समय-समय पर पुलिस उपमहानिरीक्षक/अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, स्तर के अधिकारी या उनसे वरिष्ठ स्तर के अधिकारी द्वारा समीक्षा की जावेगी। जो इतिहास वृत्त की गोपनीयता को सुनिश्चित करते हुये, ऐसे व्यक्तियों/किशोर/बच्चों के नामों को हटाने की शक्ति रखेगें जो जांच के दौरान निर्दोष पाये गये और इतिहास वृत्त में संबंध और कनेक्शन की श्रेणी से निकाले जाने के हकदार है। परिपत्र में कहा गया है कि इन निर्देशों का पालन न करने की दशा में दोषी पुलिस अधिकारी/कर्मचारी के विरूद्ध त्वरित कार्यवाही की जाये।