पन्ना टाइगर रिजर्व को इको सेंसिटिव जोन की जमीन ओबेरॉय ग्रुप के राजगढ़ पैलेस एंड रिसॉर्ट को दी गई है। इस संबंध में एसडीएम एवं वन प्रबंधन अधिकारी राजनगर ने 25 जून 2024 को आदेश दिया। जिसमें चंद्रनगर रेंज के राजगढ़ बी वन खंड के खसरा नं. पन्ना टाइगर रिजर्व का सीमांकन 2091 एकड़ संरक्षित वन को छोड़कर किया गया था।
चंद्रनगर रेंज के अंतर्गत राजगढ़ गांव में ऐतिहासिक राजगढ़ महल (पन्ना राजवाड़ा का महल) है। इसे मध्य प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 1996 में ओबेरॉय समूह की कंपनी राजगढ़ पैलेस एंड रिजॉर्ट को 7.20 एकड़ भूमि के साथ पट्टे पर दिया गया था। कंपनी इस महल को हेरिटेज लग्जरी होटल में तब्दील कर रही है। 1996 से अब तक सरकार इस कंपनी को कुल 69.82 एकड़ जमीन दे चुकी है। इसके बाद भी और जमीन हड़पने की साजिश रची गयी।
इको सेंसिटिव जोन में राजगढ़ पैलेस एंड रिजॉर्ट में ओबेरॉय ग्रुप को वन विभाग की 2.8 एकड़ जमीन दी गई है। यहाँ बाघ-तेंदुआ का भ्रमण होता है। राजगढ़ मौजा के राजस्व रिकॉर्ड में 18 ढासरे हैं, जो टाइगर रिजर्व के पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र का हिस्सा है। इनकी सीमाओं का निर्धारण वन प्रबंधन अधिकारी, राजनगर द्वारा किया जाना है।
ओबेरॉय ग्रुप से आर. शंकर प्रमुख कॉर्पोरेट और कानूनी मामले एआईएच लिमिटेड एसडीएम के समक्ष प्रार्थना पत्र दिया। सुनवाई के दौरान एसडीएम ने 25 जून 2024 को थसरा नंबर 2091 की 2.80 एकड़ भूमि का मालिकाना हक दर्ज करने का आदेश पारित किया है। इस आदेश से पन्ना टाइगर रिजर्व की संरक्षित भूमि निजी भूमि के रूप में दर्ज हो गयी है।
छतरपुर कलेक्टर पार्थ जायसवाल ने कहा- ओबेरॉय ग्रुप के पक्ष में दिए गए आदेश के खिलाफ पीटीआर की अपील स्वीकार कर ली गई है। तथ्यों की जांच की जा रही है। पीटीआर की फील्ड डायरेक्टर अंजना सुचिता तिर्की का कहना है, कि किसी टाइगर रिजर्व की सीमा बदलने का अधिकार एनटीसीए और सुप्रीम कोर्ट की अनुशंसा के बिना संभव नहीं है। एसडीएम राजनगर के आदेश के खिलाफ कलेक्टर कोर्ट में अपील दायर की गई है। वहीं तत्कालीन एसडीएम प्रखर सिंह का कहना है, कि अब मेरी पोस्टिंग राजनगर में नहीं है। पीटीआर फैसले के खिलाफ अपील कर सकता है। आरोपों पर कुछ नहीं कहना।