भोपाल: 1989 बैच के आईएफएस एवं पीसीसीएफ संरक्षण डॉ दिलीप कुमार के रिटायरमेंट की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। सेवा के अंतिम दिनों में डॉ कुमार एक के बाद एक विवादों की सुर्खियों में है। ताजा विवाद उनके अभद्र व्यवहार से जुड़ा है।
विभाग ने उनके आचरण की जांच करने की जिम्मेदारी 1988 बैच के वीएन अंबाड़े को सौपी है। अंबाड़े को 7 दिन में जांच कर प्रतिवेदन देने के निर्देश दिए गए हैं। डॉ कुमार के लघु वनोपज संघ के 22 लाख रिकवरी का मामला राज्य शासन के पास लंबित है।
जंगल महकमे में प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ कुमार ऐसे आईएफएस हैं, अमर्यादित बोल और दुर्व्यवहार की शिकायत आदिवासी वर्ग के बाबू बलराम उईके ने सीधे राष्ट्रपति भवन को की थी। शिकायत में और भी आरोप लगाए गए हैं किंतु विभाग ने उनकी जांच केवल अमर्यादित भाषा और अभद्र व्यवहार तक सीमित रखा है।
इसके अलावा बीते मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक नारायण सिंह पट्टा ने बिना अनुमति तीन किताबों के प्रकाशन का भुगतान लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र से 22 लाख के भुगतान संबंधित प्रश्न उठाए थे।
इस सवाल के जवाब में वन मंत्री नागर सिंह चौहान ने जवाब दिया कि तीनों किताबों की कॉपीराइट डॉ कुमार के पास है। चौहान ने सदन को जानकारी दी कि भुगतान के लिए शासन से अनुमति नहीं ली गई और 12 जून को 22 लाख की रिकवरी के लिए शासन में मामला लंबित है।
क्या है मामला..
मामला वर्ष 2023 का है। तब डॉ कुमार लघु वनोपज संघ के अतिरिक्त प्रबंध संचालक एवं एमएफपी पार्क के सीईओ थे। डॉ कुमार ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए 22 लाख 1443 खर्च कर निजी प्रकाशक से अपने नाम से तीन पुस्तक का प्रकाशन करा लिया। इसके लिए न तो प्रकाशन के लिए मंजूरी ली गई और न भुगतान की स्वीकृति ली।
मौजूदा सीईओ अर्चना पटेल के अनुसार पुस्तक की प्रिंटिंग हेतु संघ मुख्यालय से अनुमति लिये जाने के संबंध में इस कार्यालय में अभिलेख उपलब्ध नहीं हैं। शासन ने 8 मई को मिली शिकायत पर वनोपज संघ से जवाब मांगा, तब खुलासा हुआ कि किताबों का कॉपीराइट आईएफएस दिलीप कुमार के पास हैं।
किताब कीमत प्रकाशन खर्च
हर्स एंड ट्राइम ₹1699 3,88,500 एडमिक
स्पीशीस वॉल्यूम-1: 3499: 10,74,302
एडमिक स्पीशीस वॉल्यूम-II: 3499: 7,38,641