मनुष्य एक चेतन प्राणी है। मनुष्य का आत्मा चेतन अनादि व नित्य पदार्थ है। मनुष्य का शरीर जड़ प्राकृतिक तत्वों से बना हुआ नाश को प्राप्त होने वाला होता है। शरीर की उन्नति मनुष्य आसन, व्यायाम, सात्विक भोजन तथा संयम आदि गुणों को धारण कर करते हैं। आत्मा की उन्नति शरीर की उन्नति से अधिक महत्वपूर्ण होती है। मनुष्य का आत्मा विद्या तथा तप से शुद्ध, पवित्र व उन्नत होता है। यदि आत्मा शुद्ध व पवित्र नहीं है तो उसकी उन्नति सम्भव नहीं होती। आत्मा को उन्नति के लिये उसे आत्म व परमात्म ज्ञान से शुद्ध व पवित्र करना होता है। आध्यात्मिक ज्ञान को प्राप्त होकर ही आत्मा की उन्नति होती है।