Personality Test : जॉब की तैयारी कर रहे हैं तो क्या इसकी तैयारी भी की है?
दुनियाभर के एम्प्लॉयर्स के लिए नई हायरिंग करना हमेशा से एक समय और पैसा खर्च करने वाला टास्क रहा है। चूंकि इसमें कैंडिडेट्स के इंटरव्यूज लेने और चुने गए कैंडिडेट को ट्रेनिंग देने जैसे महत्वपूर्ण काम शामिल रहते हैं, इसलिए आज के मैट्रिक बेस्ड वर्क कल्चर में एम्प्लॉयर्स ऐसे रिक्रूटमेंट टूल की तलाश में हैं जो उन्हें सही रिक्रूटमेंट डिसीजन्स लेने में मदद करने के लिए डेटा दे सके। इसमें उनकी मदद कर रहे हैं पर्सनैलिटी टेस्ट्स। पर्सनैलिटी टेस्ट्स ऐसे असेसमेंट्स होते हैं जिनका इस्तेमाल एम्प्लॉयर्स ऐसे कैंडिडेट्स ढूंढने के लिए करते हैं जिनके कैरेक्टर ट्रेट्स किसी खास जॉब रोल को सूट करते हों। रिसर्च्य बताती हैं कि कोई एम्प्लॉई अगर ऐसी पोजीशन पर है जो उसकी पर्सनैलिटी से मैच नहीं करती तो इससे उसकी एंगेजमेंट के कम होने के चांसेज अधिक रहते हैं। प्री एम्प्लॉयमेंट टेस्टिंग किसी कैंडिडेट की पर्सनैलिटी के कुछ खास पहलुओं को उभारकर सामने लाती है और यह अनुमान लगाती है कि वह कैंडिडेट उस घोजीशन में बेहतर रहेगा या नहीं। प्री-एम्प्लॉयमेंट टेस्ट्स के जरिए ऐसे कैंडिडेट्स का चयन किया जाता है जो कंपनी के साथ कम्पैटिबल हों।
कैलिपर प्रोफाइल
यह टेस्ट इस बात का अनुमान लगाता है कि किस तरह एक इंडिविजुअल के पर्सनलिटी ट्रेट्स उसकी जॉब परफॉर्मेंस से संबंधित हैं। इस टेस्ट में विभिन्न प्रकार के सवाल होते हैं जिनमें से आपको ऐसा स्टेटमेंट चुनना होता है जो आपके व्यूपॉइंट के अनुसार सर्वश्रेष्ठ हो। यह टेस्ट पॉजीटिव के साथ आपकी नेगेटिव क्वालिटीज की जांच भी करता है जिससे आपकी तस्वीर एम्प्लॉयर के सामने स्पष्ट होती है।
होगन पर्सनैलिटी इंवेंट्री
इस टेस्ट को 1980 के दशक में डेवलप किया गया था। इसे दुनियाभर के पांच लाख से अधिक कैंडिडेट्स पर आजमाया गया है और 200 से अधिक ऑक्यूपेशंस ने इसे मान्यता प्रदान की है। यह लोगों के स्वभाव और जॉब की डिमांड को मैच करने का एक भरोसमंद टूल माना जाता है। इसमें 206 टू/ फॉल्स क्वेश्चंस होते हैं जिन्हें करीब 15 से 20 मिनट्स में पूरा करना होता है।
डिस्क पर्सनैलिटी इंवेंटी
यह माना जाता है कि यह बिहेवियर मॉडल सबसे पुराना पर्सनैलिटी टेस्ट है जो 400 ईसा पूर्व से अस्तित्व में है। यह टेस्ट चार पर्सनैलिटी टाइप्स के आधार पर कैंडिडेट्स के मुख्य ट्रेट्स की पड़ताल करता है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह कई वर्जन्स में उपलब्ध है जिसमें चार बेसिक फैक्टर्स हैं- डॉमिनेन्ट (डी). इंफ्लुएंशियल (आई), स्टैडी (एस) और कंप्लाएंट (सी) । 12 से लेकर 30 सवालों के साथ यह अन्य टेस्ट्स के मुकाबले काफी छोटा है। कंपनीज इसका उपयोग कैंडिडेट्स की प्रोफेशनल बिहेवियर स्टाइल और टीम में काम करने की उनकी एबिलिटी समझने के लिए करती हैं। इस टेस्ट में उन्हें कुछ विशेषणों या वाक्यों में से वे चुनने के लिए कहा जाता है जो उन पर सबसे अधिक और सबसे कम अप्लाई होते हों।
एसएचएल ऑक्युपेशनल पर्सनैलिटी क्वेश्चनेअर
ओपीक्यू32 के नाम से लोकप्रिय यह टेस्ट कंपनीज को बताता है कि विभिन्न व्यवहार किस तरह से एक कैंडिडेट की वर्क परफॉर्मेंस पर अपना असर डालते हैं। इस टेस्ट में 104 सवाल होते हैं जो कैंडिडेट्स की 32 विभिन्न विशेषताओं का निर्धारण करते हैं। उन्हें तीन मुख्य क्षेत्रों में इवेलुएट किया जाता है रिलेशनशिप विद पीपल, थिंकिंग स्टाइल एंड फीलिंग्स और इमोशंस इस टेस्ट में कैडिडेट्स को चार स्टेटमेंट्स दिए जाते हैं जिनमें से उन्हें खुद पर सही बैठने वाला स्टेटमेंट चुनने के साथ वह स्टेटमेंट भी चुनना होता है जो उनकी पर्सनलिटी के बिलकुल उलट हो।