भोपाल। राज्य के पुलिस मुख्यालय ने प्रदेश भर में स्थित पुलिस अस्पतालों में आर्थिक अनियमितता पकड़ी है। एडीजीपी कल्याण अनिल कुमार ने सभी पुलिस इकाईयों को पत्र लिखा है कि पुलिस अस्पतालों में स्थापित लैब में कार्यरत लैब टेक्निशियन एवं रेडियोलाजिस्ट के मानदेय का भुगतान रोगी कल्याण निधि से किया जा रहा है जबकि लैब जांच से प्राप्त राशि को रोगी कल्याण निधि समिति में जमा कर लैब की व्यवस्था के अतिरिक्त अन्य व्यवस्थाओं में उपयोग किया जा रहा है। जिस प्रयोजन के लिये राशि प्राप्त की जा रही है, उस राशि का उपयोग, उस प्रयोजन में ही किया जा सकता है, अन्य कार्यों में उस राशि का व्यय करना आर्थिक अनियमितता की श्रेणी में आयेगा।
एडीजीपी ने आगे से उक्त राशि के उपयोग के नये दियाा-निर्देश जारी किये हैं। इसके तहत अब रोगी कल्याण समिति के लिये ओपीडी के नियत शुल्क से प्राप्त आय को अस्पताल के सामान्य व्यवस्था के संधारण में व्यय किया जाये। लैब जांच के एवज में प्राप्त आय का उपयोग जांच हेतु रिएजेंट क्रय करने, मशीनों का संधारण करने एवं लैब टेक्निशियन/सहायक एवं रेडियोलाजिस्ट आदि को मानदेय भुगतान के रुप में किया जाये।
चूंकि आज तक स्थिति में दोनों फण्ड में पृथक-पृथक लेजर नहीं रखा गया है, इसलिये रोगी कल्याण समिति में उपलब्ध राशि का पिछले छह माह में प्राप्त ओपीडी राशि एवं लैब जांच में प्राप्त राशि के अनुपात में विभाजन किया जाये। लैब संचालन में पुलिस मुख्यालय की अनुमति के बिना मानदेय पर रखे गये कर्मियों की संख्या में वृध्दि नहीं की जाये। लैब जांच शुल्क में वृध्दि नहीं की जाये तथा नियत मदों पर भुगतान हेतु राशि कम पड़ती है तो केंद्रीय कल्याण निधि से अनुदान प्राप्त किया जाये। अतिक्ति राशि की मांग हेतु प्रस्ताव लेखा-जोखा के साथ भेजे जायें।