भोपाल: राजधानी में स्थित पुलिस मुख्यालय की सीआईडी शाखा के एडीजीपी पवन कुमार श्रीवास्तव ने सभी आईजी जोन, भोपाल इंदौर के पुलिस आयुक्त एवं सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को पुलिस कस्टडी में होने वाली हिंसा की रोकथाम के लिये नये दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
जारी दिशा-निर्देश में कहा गया है कि वर्तमान में पुलिस अभिरक्षा में होने वाली हिंसा के कुछ मामले संज्ञान में आये है, जो उचित नहीं है। पुलिस अभिरक्षा में होने वाली हिंसा की रोकथाम के लिये अनिवार्य रुप से इन बातों का पालन किया जाये : थाने में हवालात के लिए पर्याप्त बल उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित किया जाए।
यदि किसी थाने की हवालात के लिए पर्याप्त बल उपलब्ध नहीं है तो उस हवालात में उस बंदी को न रखें,अन्य किसी बंदीगृह जहां पर्याप्त बल उपलब्ध है,उसमें रखा जावे। बल की कमी के नाम पर अभिरक्षा में लिए गए व्यक्तियों की सुरक्षा में कमी नहीं की जाये। हर समय एक आरक्षक/प्रधान आरक्षक बंदी की सुरक्षा के लिए तैनात किया जाये। हवालात की सुरक्षा के लिए तैनात कर्मचारी रात्रि में हवालात का विशेष ध्यान रखें एवं नियमित रूप से बंदी को देखते रहे, जिससे कि वह कोई अप्रिय गतिविधि नहीं कर सके।
अभिरक्षा में लिए गए व्यक्ति को परिवहन कर थाना मुख्यालय तक लाने के दौरान या उस व्यक्ति से किसी वस्तु की बरामदगी, चिकित्सीय परीक्षण, न्यायालय में प्रस्तुती आदि के लिए ले जाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाये कि वह किसी भी परिस्थिति में अभिरक्षा में लिया गया व्यक्ति असुरक्षित न रहे, अर्थात उसके भाग जाने की परिस्थितियां निर्मित न हों।
आरोपी को अभिरक्षा में लेते समय एवं हवालात में प्रवेश कराते समय यह सुनिश्चित किया जाये कि उसके पास ऐसी कोई वस्तु न हो, जिससे वह अपने शरीर को किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचा सके। बीमार, अत्यधिक नशे में पाये गये व्यक्तियों एवं अन्य घायल व्यक्तियों को थाने पर न रखा जावे, उन्हें शीघ्र चिकित्सा हेतु अस्पताल में भर्ती कराया जावे।
अभिरक्षा में लिए गए प्रत्येक व्यक्ति का चिकित्सा परीक्षण तत्काल कराया जाये। हवालात में लगे सीसीटीवी कैमरे की नियमित मॉनीटरिंग के लिये प्रत्येक थाने में एएसआई स्तर के पुलिस अधिकारी को नियुक्त किया जाये एवं यह भी सुनिश्चित किया जाये कि कैमरे प्रत्येक समय चालू अवस्था में रहे। सुनिश्चित करें कि सीसीटीवी कैमरा इतनी उंचाई पर हो कि उसके साथ किसी प्रकार की छेड़ छाड़ न की जा सके। सुनिश्चित करें कि कैमरा का एंगल ऐसा हो कि पूरे हवालात को कवर कर सके। यह भी सुनिश्चित करें कि हवालात के सीसीटीवी का फीड मोहर्रिर को प्रत्यक्ष दिख सके।
अभिरक्षा में लिए गए व्यक्ति को न्यायालय में पेश करने के पूर्व किसी अन्य व्यक्ति से मिलने न दिया जावे, जिससे कि किसी प्रकार के नशीले/जहरीले खाद्य पदार्थ या घातक वस्तुओं का आदान-प्रदान न हो सके।
जिला पुलिस अधीक्षकों को इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है कि यदि उनके अधीनस्थ किसी थाने में पुलिस अभिरक्षा में हिंसा होती है तो यह माना जावेगा कि कहीं न कहीं उनके स्तर पर पर्यवेक्षण में भी लापरवाही रही है। यह सुनिश्चित किया जावे कि पुलिस अभिरक्षा में लिये गये व्यक्ति को, थाना स्टाफ के द्वारा किसी भी प्रकार से प्रताडि़त न किया जाये।
इसे रोकने के लिये पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, नगर पुलिस अधीक्षक एवं अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस) द्वारा उचित मार्गदर्शन, पर्यवेक्षण एवं आकस्मिक निरीक्षण निरंतर किया जाये। जोनल पुलिस महानिरीक्षक एवं पुलिस अधीक्षक इस विषय में विशेष बैठकें आयोजित कर थाना प्रभारियों को इस विषय में संवेदनशील बनाये ताकि उनके अधीनस्थ प्रत्येक आरक्षक तक को अभिरक्षा में रखे व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए संवेदनशील बनाया जा सकें।
जोनल पुलिस महानिरीक्षक स्तर से भी यह देखा जावे कि उनके अधीनस्थ जिलों के थाना की सभी हवालातें सुरक्षित हैं, ताकि वहां कोई भी बंदी अपने शरीर को नुकसान न पहुंचा सके। यह भी सुनिश्चित किया जावे कि किसी भी कैदी को बिना सुरक्षा के न रखा जावे एवं हर समय एक प्रहरी हवालात के बाहर मौजूद रहे।