भोपाल। चार साल पहले प्रदेश के डिण्डौरी जिले में वन बल सदस्यों ने एक वन अपराध पर आरोपी को हिरासत में लिया था, परन्तु इस आरोपी ने हिरासत में ही आत्महत्या कर ली थी। राज्य मानव अधिकार आयोग ने इस घटना पर संज्ञान लेकर 13 जुलाई 2020 को अनुशंसा की थी जिसके परिपालन में अब वन विभाग ने हिरासत में आत्महत्या करने वाले मृतक पुहुप सिंह की धर्मपत्नी सुनीता बाई को 5 लाख रुपये क्षतिपूर्ति के रुप में भुगतान करने के आदेश जारी किये हैं और दोषी दो वनरक्षकों की वेतनवृध्दि रोकने का दण्ड दिया है। सभी क्षेत्रीय एवं वन्यप्राणी सीसीएफ, सीएफ एवं डीएफओ को भविष्य में सुरक्षा व्यवस्था बनाने के निर्देश जारी किये हैं।
जारी निर्देश में कहा गया है कि वन अपराध में गिरफ्तार किये गये आरोपी के संबंध में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 56 के प्रावधानों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाये। संहिता की धारा 56 में यह व्यवस्था है कि अभियुक्त को अभिरक्षा में रखने वाले व्यक्ति का यह कर्तव्य होगा कि वह अभियुक्त के स्वास्थ्य तथा सुरक्षा की उचित देखभाल करे।
सर्वप्रथम गिरफ्तार आरोपी को पुलिस लॉकअप मे ही रखा जावे तथा उसकी निगरानी हेतु वन रक्षक की ड्यूटी लगाई जावे। गिरफ्तार आरोपी की तलाशी ली जावे तथा यह सुनिश्चित किया जावे कि उसके पास कोई हथियार या ऐसी सामग्री नहीं है जिससे वह स्वयं को घायल कर सके, या आत्महत्या कर सके। आरोपी को अभिरक्षा के पूर्व मेडिकल परीक्षण कराये जावे।
अति आवश्यक परिस्थितियों में विवेचना हेतु गिरफ्तार आरोपी को वन अभिरक्षा मे रखा गया है तो उसको वन चौकी या रेंज कार्यालय में रखा जावे। उक्त स्थान का सूक्ष्मता एवं गंभीरता से निरीक्षण किया जावे कि ऐसी कोई सामग्री उक्त कक्ष में नहीं है जिसकी सहायता से गिरफ्तार आरोपी स्वयं को घायल कर सके, चोट पहुंचा सके, या आत्महत्या जैसा प्रयास कर सके।
वन विभाग की अभिरक्षा के दौरान वन अपराध से संबंधित बंदियों पर वन विभाग के संबंधित अधिकारी / वन रक्षकों की निरंतर सतर्क और सजग नजर बनी रहे और किसी भी बंदी की इस दौरान आत्महत्या करने का कोई अवसर प्राप्त न हो सके। इस संबंध में अभिरक्षा के स्थान पर सीसीटीवी कैमरा लगाते हुए अभिरक्षा के अधीन बंदी को संबंधित टीवी मानीटर पर निरंतर देखते रहने की व्यवस्था किये जाने के प्रयास किये जायें। वन अपराध से संबंधित बंदियों को यथाशीघ्र नियमानुसार न्यायालय में प्रस्तुत किया जाये।