भोपाल: राज्य के वन विभाग ने भारतीय सेना के अग्निवीर भर्ती नियम की तरह वन वीर नियम बनाये हैं और इन्हें स्वीकृत करने के लिये राज्य शासन के पास भेजा है। राज्य शासन इन नियमों को सामान्य प्रशासन विभाग एवं वित्त विभाग के पास भेजकर इनका परीक्षण करायेगी।
उल्लेखनीय है कि वन वीर नियमों में बाघ मित्र, चीता मित्र एवं हाथी मित्र नियुक्त किये जाने का प्रावधान किया गया है। वन विभाग की व्रयप्राणी शाखा के एपीसीसीएफ सत्यानंद ने बताया कि इन नियमों के तहत जंगलों के अंदर एवं उसके पास रहने वाले ग्रामीण, वनवासी एवं आदिवासी युवाओं की पांच साल के लिये भर्ती की जायेगी। हर साल उनका परफॉर्मेंस देखकर उनकी सालाना अवधि बढ़ाई जायेगी। पांच साल तक उन्हें मानदेय भी दिया जायेगा। पांच साल बाद भर्ती किये गये कुल वन वीरों में से अच्छा परफॉर्मेंस देने वाले 30 प्रतिशत को फॉरेस्ट गार्ड के पद पर नियमित नियुक्ति दी जायेगी
यह व्यवस्था इसलिये की जा रही है क्योंकि स्थानीय समुदाय के युवा जंगलों एवं वन्य प्राणियों की भली-भांति रक्षा कर सकते हैं। फारेस्ट गार्ड के पदों पर सीधी भर्ती में कई बार शहरी युवा भी आ जाते हैं जिन्हें जंगलों में रहने की आदत नहीं होती है। वन एवं वन्य प्राणियों के संरक्षण हेतु स्थानीय युवा मददगार साबित होते हैं तथा इससे उन्हें रोजगार भी नये अवसर मिल जायेंगे।