संघ देवी अहिल्याबाई होलकर का 300वां जयंती वर्ष मनायेगी


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स्टोरी हाइलाइट्स

मध्यभारत के प्रमुख अशोक पाण्डेय ने बताया कि जयंती के 300वें वर्ष के पावन अवसर पर, उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए, समस्त स्वयंसेवक एवं समाज बंधु-भगिनी इस पर्व पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में मनोयोग से सहभाग करेंगे..!!

भोपाल: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मध्यभारत इकाई जिसमें ग्वालियर, चम्बल, भोपाल, नर्मदापुरम आदि संभाग एवं जिले आते हैं, द्वारा 31 मई, 2024 से प्रारंभ होने वाला देवी अहिल्याबाई होलकर का 300वां जयंती वर्ष मनाया जायेगा। 

मध्यभारत के प्रमुख अशोक पाण्डेय ने बताया कि जयंती के 300वें वर्ष के पावन अवसर पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए समस्त स्वयंसेवक एवं समाज बंधु-भगिनी इस पर्व पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में मनोयोग से सहभाग करेंगे। उनके दिखाये गए सादगी, चारित्र्य, धर्मनिष्ठा और राष्ट्रीय स्वाभिमान के मार्ग पर अग्रसर होना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

पाण्डेय ने बताया कि मध्यभारत प्रांत में भी तेजी से संघ कार्य बढ़ रहा है। शताब्दी वर्ष को ध्यान में रखकर मध्यभारत प्रांत में सभी इकाइयों तक संघ कार्य को पहुंचाने के प्रयास चल रहे हैं। इस समय मध्यभारत प्रान्त में संघ की रचना से महानगरीय एवं ग्रामीण जिलों के 1763 स्थानों पर 2756 शाखाएं चल रही हैं। 

जिनमें महानगर में 37 स्थानों पर 432 शाखाएं एवं ग्रामीण जिलों में 1726 स्थानों पर 2324 शाखाएं चल रही हैं। इसके साथ ही 513 स्थानों पर 528 साप्ताहिक मिलन के रूप में संघ कार्य चल रहा है। आगामी एक वर्ष में प्रान्त की प्रत्येक बस्ती और गांव तक संघ के कार्य विस्तार का लक्ष्य है। इसके अलावा संघ के स्वयंसेवकों द्वारा समाज के साथ मिलकर सेवा बस्तियों में सेवा कार्य भी चलाये जा रहे हैं।

पाण्डेय ने बताया कि राजगढ़ के बाबुल्दा गांव में स्वयंसेवकों ने मुक्तिधाम पर सेवा कार्य के माध्यम से समाज परिवर्तन के प्रयास किए हैं। बाबुल्दा गांव में 9 मुक्तिधाम हैं, जिनमें से केवल एक ही सरकारी जमीन पर है, जो सार्वजनिक है। बाकी के मुक्तिधाम जाति-बिरादरी के आधार पर बंटे हुए हैं। सभी मुक्तिधामों में गंदगी का अंबार था और बारिश के दिनों में वहां तक पहुंचना भी कठिन था। 

स्वयंसेवकों ने सबसे पहले ग्राम समिति बनाकर, गांव के नवयुवकों को साथ लेकर यहां स्वच्छता अभियान चलाया। उसके बाद सबके सहयोग से बोरवेल और बाउंड्रीवॉल बनवाई। सामाजिक समरसता को बढ़ाने के लिए सबके लिए एक ही मुक्तिधाम परिसर के विचार को भी साकार करने में बहुत हद तक स्वयंसेवक सफल हुए हैं।