भोपाल: मप्र एवं महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित वन क्षेत्र में मानव-वन्यप्राणी द्वन्द में मुआवजा देने के लिये दोनों राज्यों की सरकारे मिलकर एक एसओपी बनायेंगे। यह निर्णय मप्र की मुख्य सचिव द्वारा अंतर्राज्यीय मुद्दों के संबंध में महाराष्ट सरकार के साथ हुई बैठक में लिया गया है।
दरअसल, मप्र के वन विभाग ने उक्त बैठक में मुद्दा उठाया था कि मप्र के सिवनी जिले एवं सीमा के दूसरी ओर नागपुर जिले में मप्र-महाराष्ट्र राज्य की सीमा से लगे वन क्षेत्र एवं समीप के ग्रामों में बाघ एवं अन्य वन्य प्राणियों का विचरण होता रहता है। सीमा के दोनों और ही मानव-वन्यप्राणी द्वन्द की घटनायें भी अक्सर होती रहती हैं। उन स्थितियों में, जब एक और के ग्रामीण राज्य सीमा के दूसरी ओर, दूसरे राज्य में इस प्रकार की मानव-वन्यप्राणी द्वन्द की घटनाओं का शिकार हो जाते हैं, तो मुआवजे के त्वरित निराकरण हेतु संयुक्त एसओपी बनाये जाने की आवश्यक्ता है।
मुख्य सचिव द्वारा ली गई अंतर्राज्यीय मुद्दों के संबंध में महाराष्ट सरकार के साथ की गई बैठक में उक्त विषय पर चर्चा की गई। चर्चा में बताया गया कि महाराष्ट्र से मप्र की सीमा में आने वाले पशुपालकों को तो मप्र का वन विभाग मुआवजा दे देता है परन्तु मप्र से महाराष्ट्र की सीमा में जाने वाले पशुपलकों को वन्यप्राणियों के हमले से हुई क्षति की मुआवजा महाराष्ट्र सरकार का वन विभाग नहीं देता है तथा मजबूरी में महाराष्ट्र की सीमा के अंदर होने वाली घटनाओं पर भी मप्र के वन विभाग को मुआवजा देना पड़ता है।
इसीलिये मप्र की मुख्य सचिव एवं महाराष्ट्र सरकार ने मिलकर निर्णय लिया है कि इस मामले में दोनों राज्यों के वन विभाग के अधिकारी मिलकर चर्चा करेंगे और इस संबंध में एक एसओपी तैयार करेंगे जिससे दोनों राज्यों की सीमाओं के अंदर आवाजाही करने वाले ग्रामीणों को शीघ्र मुआवजा मिल सके।