भोपाल: राज्य का वन विभाग अपने वन क्षेत्रों से गुजर रही रेलवे लाईनों पर मानक अनुसार अंडरपास बनाए जाने से सहमत नहीं है। इसका नतीजा यह है कि इन रेलवे लाईनों पर वन्य प्राणियों की आये दिन कट कर मृत्यु हो रही है।
दरअसल बैतूल एवं होशंगाबाद (नर्मदापुरम) जिले में जुझारपुर से ढोहरामोहार के मध्य तीसरी रेलवे लाइन के निर्माण हेतु उत्तर बैतूल वनमंडल की 1.2496 हेक्टेयर वनभूमि एवं होशंगाबाद वनमंडल की 6.7861 हेक्टेयर, कुल 8.0357 हेक्टेयर वनभूमि सेंट्रल रेलवे नागपुर डिविजन बैतूल को अनुमति दिये जाने का विषय राज्य सरकार के पास आया है।
इस मामले में नर्मदापुरम वनमंडल के अधिकारियों एवं रेल्वे विभाग के अधिकारियों द्वारा संयुक्त स्थल निरीक्षण किया गया। वनमंडलाधिकारी नर्मदापुरम द्वारा रेलवे विभाग को सतपुड़ा-मेलघाट वन्य प्राणी कॉरिडोर में स्थित इस रेलवे लाइन के कारण वन्य प्राणियों की दुर्घटना में प्रतिवर्ष होने वाले मृत्यु की संख्या कम करने के लिये भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा तैयार गाइडलाइन के अनुसार शमन उपायों के अंतर्गत परिक्षेत्र इटारसी में 300-300 मीटर के 20 ओवरपास/अण्डरपास तथा परिक्षेत्र सुखतवा के अंतर्गत 47 ओवरपास/अण्डरपास बनाये जाने का सुझाव दिया गया है।
इस रेल्वे लाइन पर वन्यप्राणियों की रेल गाडिय़ों से टकराने के कारण विगत तीन वर्षों में 33 वन्यप्राणियों की मृत्यु संज्ञान में आयी है। इस वर्ष मार्च से अब तक 10 जंगली सुअरों की एक साथ, 1 रीछ, 1 कृष्ण मृग की ट्रेन दुर्घटना में मृत्यु की जानकारी प्राप्त हुई है। किन्तु वन विभाग ने वनमंडलाधिकारी नर्मदापुरम द्वारा प्रस्तावित संख्या में ओवरपास/अण्डरपास बनाये जाने का सुझाव अव्यावहारिक निरूपित किया है और कहा है कि वन्य प्राणियों के निर्बाध आवागमन के लिये यह आवश्यक नहीं है।
इसलिये अब वन विभाग ने तय किया है कि केवल उन जगहों पर उचित आकार के ओवरपास/अण्डरपास बनाया जाना प्रस्तावित किया जाए जहां से वन्यप्राणी अक्सर उक्त रेलवे लाइन को क्रॉस करते हैं। ऐसे स्थल 21 तय किये गये हैं जहां सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं प्रकाश में आयी हैं।