तूल पकड़ता रहा जहरीला कचरा जलाने का मामला, विरोध कर रहे दो युवकों ने खुद पर पेट्रोल डालकर लगाई आग


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स्टोरी हाइलाइट्स

मध्य प्रदेश में भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे पर विवाद गहराता जा रहा है, पीथमपुर में लोगों ने रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया..!!

मध्य प्रदेश में राजधानी भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को जलाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। यूनियन कार्बाइड का कचरा 12 कंटेनरों में कड़ी सुरक्षा के बीच भोपाल से पीथमपुर पहुंचाया गया। अब इसे लेकर पीथमपुर से लेकर इंदौर तक विरोध जताया जा रहा है।

इसी बीच एक बड़ी ख़बर सामने आ रही है। भोपाल के यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को जलाने का विरोध हो रहा था। विरोध में दो युवकों ने ख़ुद के उपर पेट्रोल छिड़का, पीछे से किसी ने आग लगा दी, दोनों की हालत गंभीर बताई जा रही है।

आपको बता दें, कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पूर्व सांसद और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से इस मामले पर चर्चा की। इस मुद्दे पर एक बार फिर से विचार करने की मांग की गई। इसके साथ ही पीथमपुर में कूड़ा जलाने के खिलाफ लोग रैली निकाल रहे हैं।

इस मामले में लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी कोर्ट के आदेश पर सरकार के फैसले को लोगों के लिए जीवन-मरण का मामला बताया है। इस बीच गुरुवार को रामकी की विशेषज्ञ टीमों ने कूड़ा जलाने के संबंध में जन प्रतिनिधियों को पूरी जानकारी दी। 

यहां पीथमपुर में बड़ी संख्या में लोगों ने रैली निकालकर कूड़ा जलाने का विरोध किया। कई सार्वजनिक निकायों ने 3 जनवरी को पीथमपुर बंद का आह्वान किया है। इस बीच पीथमपुर स्थित रैमकी एनवायरो प्लांट की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पीथमपुर के वार्ड नंबर 7 के महाराणा प्रताप चैरास्ता पर बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और प्रदर्शन किया और रैली निकालकर अपना विरोध जताया।

वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि ''यहां पहले भी कचरा जलाने का विरोध हुआ था। इस मामले में पीथमपुर नगर पालिका और परिषद की ओर से समीक्षा याचिका भी दायर की गई थी, लेकिन फिर भी यहां कचरा लाया गया।'' जबकि इंदौर पहले से ही उद्योगों आदि के कारण प्रदूषित है, जो लोगों के जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है।”

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कचरा जलाने के मुद्दे पर स्पष्टता नहीं होने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, ''यह मुद्दा राजनीति का नहीं है, बल्कि शहर और जनता के हित से जुड़ा है। सरकार को विशेषज्ञों के अनुभव का लाभ लेना चाहिए और संभावित नुकसान और अन्य पहलुओं के संबंध में इस मामले पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए।''

जीतू पटवारी ने कहा कि उन्होंने सुमित्रा महाजन के साथ भी इस मुद्दे पर चर्चा की और सरकार से मामले में समीक्षा याचिका दायर करने और कोई भी निर्णय लेने से पहले इसके दीर्घकालिक प्रभावों का गहराई से आकलन करने का आग्रह किया।

उनका मानना है कि यह फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया जाना चाहिए, ताकि जनता और पर्यावरण पर इसका नकारात्मक प्रभाव न पड़े। पटवारी ने चेतावनी दी कि पिछले अनुभवों के अनुसार, विषाक्त अपशिष्ट जलाने के परिणाम सकारात्मक नहीं रहे हैं। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि यदि जलाने की प्रक्रिया में जल्दबाजी की गई तो निकट भविष्य में यशवंत सागर पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यशवंत सागर का पानी इंदौर के लोगों की जरूरतों को पूरा करता है, इसलिए इस मुद्दे पर अधिक सावधानी की जरूरत है।

यहां जीतू पटवारी से चर्चा के बाद सुमित्रा महाजन ने कहा, ''यह राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि जनता का मुद्दा है. इसलिए स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए कि कचरा जलाने के दूरगामी परिणाम क्या होंगे।'' उन्होंने कहा कि सिर्फ रामकी ही नहीं लेकिन इंदौर में मौजूद आरआर कैट एसजीएसआईटीएस जैसे संगठनों के विशेषज्ञों से सलाह ली जानी चाहिए कि इस राजनीति से पर्यावरण, पानी और जमीन पर कोई असर नहीं पड़ेगा इसलिए कचरा जलाने से पहले विशेषज्ञों से सलाह लेना जरूरी है।”

इस मामले में गैस राहत एवं पुनर्वास आयुक्त स्वतंत्र कुमार सिंह ने स्पष्ट किया है कि ''कचरे की शेल्फ लाइफ खत्म हो चुकी है, यह कीटनाशक अवशेष है। उन्होंने कहा कि इस कचरे की विषाक्तता उतनी नहीं है जितनी दिखाई जा रही है। स्वतंत्र कुमार इसे अचानक इंदौर ले जाने के सवाल पर सिंह ने कहा कि 3 दिसंबर 2024 को जबलपुर की डिवीजन बेंच के फैसले के बाद यह 20 साल पुरानी प्रक्रिया है।

उन्होंने कहा कि पहले 10 टन कचरे की जांच की जायेगी। जलाने के बाद यह कचरा अनुकूल परिस्थितियों के आधार पर 6 से 7 महीने या 8 से 9 महीने में जलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस तरह का ट्रायल रन 2013 और 2015 में किया गया था। जिसमें कूड़ा तो जलाया गया है, लेकिन इस प्रक्रिया में पर्यावरण या किसी अन्य को कोई नुकसान होने की बात सामने नहीं आई है।

बता दें कि कोर्ट के आदेश के बाद यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा बुधवार रात भोपाल से पीथमपुर भेजा गया था। 337 टन कचरे से भरे कंटेनर इंदौर के बायपास से कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह-सुबह पीथमपुर स्थित रामकी एनवायरो प्लांट पहुंचे। इस कचरे को भेजने के लिए भोपाल से पीथमपुर तक एक विशेष ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया गया। विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पीथमपुर में पहले से ही भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। कचरे को पीथमपुर के औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन परिसर में कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है। इस कंपनी के चारों ओर फेंसिंग की जा रही है। यहां स्थानीय लोगों ने अब कूड़े के खिलाफ बड़े आंदोलन की तैयारी कर ली है।

इस मामले में इंदौर के डॉक्टरों की ओर से दायर जनहित याचिका के बाद अब एक और याचिका एक वकील बीएल नागर ने दायर की है। जिसमें रामकी कंपनी द्वारा ट्रायल के तौर पर जलाए जा चुके 10 टन कचरे से होने वाले प्रदूषण और हानिकारक प्रभावों की विस्तृत जानकारी कोर्ट के सामने रखी जाएगी। एडवोकेट नागर का आरोप है कि ''पहले 10 टन कूड़ा जलाने के दौरान किए गए ट्रायल के दुष्परिणामों को हाई कोर्ट की डबल बेंच के सामने नहीं रखा गया है। यह कंपनी की ओर से कोर्ट की अवमानना है।''

उन्होंने कहा कि अब इस मामले में कंटेंमेंट याचिका दायर की जा रही है। इसके अलावा 337 टन कचरा जलाने से न केवल पीथमपुर बल्कि इंदौर में भी पर्यावरण और जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। इस स्थिति से कोर्ट को अवगत कराया जायेगा। पूर्व में जारी याचिका को वापस लिया जाएगा और कंपनी को ब्लैक लिस्ट में डालने की मांग की जाएगी।