11 साल पहले भोपाल से प्रतिनियुक्ति पर सागर भेजने के बाद कंपनी कमांडर को वापिस बुलाना भूला पुलिस महकमा


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स्टोरी हाइलाइट्स

11 साल से एक ही स्थान पर रहकर कर रहा है अवैध कमाई..!!

भोपाल: प्रदेश के पुलिस विभाग द्वारा विशेष सशस्त्र बल 23 बटालियन भोपाल में पदस्थ रहे अपने एक अधिकारी को 11 साल पहले 5 साल की प्रतिनियुक्ति पर पुलिस ट्रेनिंग स्कूल सागर सागर भेजा गया था। परन्तु इतने साल बीत जाने के बावजूद पुलिस विभाग उसे अपनी मूल इकाई SAF में वापिस बुलाना ही भूल गया।

मामला सागर की पुलिस प्रशिक्षण शाला (PTS) का है, जहां विशेष शसस्त्र बल (SAF) 23 बटालियन, भोपाल में पदस्थ कार्यवाहक कंपनी कमांडर ज्ञानेन्द्र प्रसाद शुक्ला को साल 2014 में 5 साल की प्रतिनियुक्ति पर यहां भेजा गया था। कायदे से यह अवधि खत्म होने के बाद उसे मूल इकाई 23 वीं बटालियन विशेष सशस्त्र बल (SAF), भोपाल में भेज दिया जाना चाहिए था। 

परन्तु 11 साल बाद आज भी विभाग को इसकी सुध नहीं आ पाई है। आश्चर्य की बात है कि पिछले साल ही उक्त अधिकारी को कार्यवाहक रूप से पदोन्नति देने के बाद नियमानुसार उसकी नई पदस्थापना की बात विभाग के अधिकारियों के दिमाग में भी नहीं आई। 

लंबे समय से एक ही जगह पर पदस्थ रहते उक्त अधिकारी द्वारा अपना स्थानीय नेटवर्क स्थापित कर पद अधिकार का बेजा दुरूपयोग किया जा रहा है। ट्रेनिंग स्कूल में प्रभारी अधिकारी चाहे कोई भी आ जाए लेकिन उसे चलना इसी की उंगलियों के इशारों पर ही है क्योंकि प्रमोशन के बाद से कई महत्वपूर्ण प्रभार भी अब इसी को मिले हुए है।

उक्त अधिकारी द्वारा अपने प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए नव आरक्षकों को मुक्ति ड्रेस, ट्रैक सूट, नेकर, टी शर्ट, स्टडी मटेरियल आदि बाजार से उपलब्ध कराने के नाम पर मूल खरीदी लागत से दुगने तिगने दामों की वसूली, आंतरिक परीक्षाओं में पास करने आदि कई प्रकार से आर्थिक व मानसिक शोषण किया जा रहा है। 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त पुलिस अधिकारी लंबे समय से स्कूल की मैस का भी प्रभारी रहता आया है। पदोन्नति पाने के बाद इस अधिकारी का मैस से मोह भी खत्म नहीं हो रहा है और प्राइवेट ठेकेदार से सांठगांठ कर मैस को अपनी मर्जी के मुताबिक चलाते हुए अतिरिक्त आर्थिक फायदा उठा रहा है। जिसका प्रमाण  इसके गूगल व फोनपे के पिछले 4 माह के ट्रांजिक्शन से सहज ही लगाया जा सकता है।

ऐसे में सवाल उठता है कि प्रदेश के पुलिस मुख्यालय में बैठे आला अफसर के साथ ही मुख्यालय में बैठकर सशस्त्र बल व ट्रेनिंग का काम सम्हाले अधिकारी क्या अपनी इस बड़ी गलती को सुधार पाएंगे।