भोपाल: कालांतर में वन विभाग में सीनियर आईएफएस अफसर वर्किंग प्लान को 'बाइबल' से कम नहीं मानते रहे हैं। अर्थव्यवस्था के युग में मंत्री और अफसर अपने हितार्थ के लिए वर्किंग प्लान (बाइबल) बनाने के नियम परिवर्तित होते रहे हैं। अब एसीएस अशोक वर्णवाल अपने ही पूर्व के निर्णय को दरकिनार कर तीन दर्जन आईएफएस अफसरों को वर्किंग प्लान बनाने से छूट देने जा रहे हैं। ऐसा क्यों कर रहे हैं, यह बड़े ही शोध का विषय है
अपर मुख्य सचिव वन अशोक वर्णवाल आप 9 वर्ष पूर्ण कर लेने वाले डीएफओ से वर्किंग प्लान बनवाने का नियम तैयार कर रहे हैं। यानी वर्ष 2012 बैच से 2014 बैच के आईएफएस अफसर को वर्किंग प्लान बनाने से छूट मिल जाएगी। सनद रहे कि वर्णवाल ने ही प्रमोट आईएफएस हरिशंकर मिश्र को निलंबित किया था और रमेश विश्वकर्मा को नोटिस जारी किए थे।
इसके साथ उन्होंने स्पष्ट कहा था कि सीनियर और योग्य अधिकारी वर्किंग प्लान तैयार करेंगे। अपने ही पूर्व आदेश को बदलने कीर्तमान स्थापित करने जा रहे हैं। लेकिन है कि कालांतर में प्रत्येक आईएएस अधिकारी को वर्किंग प्लान बनाना अनिवार्य होता आया है। पहली बार कुछ अधिकारियों के दबाव में आकर पूर्व डॉक्टर गौरी शंकर शेजवार ने वर्किंग प्लान में छूट देने का सिलसिला शुरू किया।
उसके बाद भी जैसा और पूर्व वन मंत्री नागर सिंह चौहान तक सिलसिला जारी रहा। अब तक तीन मर्तबा वर्किंग प्लान के नियम बदले गए हैं। एक बार फिर वर्किंग प्लान के नियम में परिवर्तन किया जा रहा है।अब नए नियम के अनुसार अब 9 साल की सेवा देने वाले डीएफओ वर्किंग प्लान बनाएंगे।
पालिसी मेंकरो ने 29 जनवरी 24 के कार्य आयोजना की पालिसी परिवर्तन किया और उप वन संरक्षक स्तर के ऊपर के अधिकारियों को छोड दिया गया। साथ ही यह भी निर्धारित किया गया कि वे अधिकारी कार्य आयोजना ( वर्किंग प्लान) में पदस्थ किये जायेगे, जिनकी सेवा 2 वर्ष शेष हो। इस प्रकार अवशेष सेवा अवधि को तीन वर्ष से घटा कर 2 वर्ष कर दिया गया। इस संशोधन से पुनः तत्कालीन अपर मुख्य सचिव एवं वर्तमान एसीएस वन ने अपने कहते आईएफएस अफसर के लिए इस 2024 की पालिसी से 2008, 2009, 2010 बैच के 11 भावसे. अधिकारी कार्य आयोजना पुनरीक्षण से बच गये।
पहली बार 17 में परिवर्तन हुआ..
वर्ष 2005 में की कार्य आयोजना पॉलिसी के अनुसार वरीयता क्रम से सभी भा.व.से. सवर्ग के अधिकारियो को वन संरक्षक ( WPO.) के पद पर पदस्थिति किये जाने के निर्देश थे, जिसे वर्ष 2017 में 13 अधिकारियों के लिए संशोधन किया गया। क्यों हुआ यह एक शोध का विषय है। अधिकारी ऐसी अर्थव्यवस्था से जोड़कर देख रहें हैं।
कार्य आयोजना में पदस्थिति के समय यह सुनिश्चित किया जाना अनिवार्य हो किः-
(क) इन अधिकारियों की सेवानिवृत्ति के कम से कम 3 वर्ष की अवधि शेष रहे।
(ख) इन अधिकारियों की आगामी 3 वर्ष की कालावधि में मुख्य वन संरक्षक के पद पर पदोन्नति संभावित न हो।
* रसूखदार अफसर के आगे सरकार फिर झुकी और नियम 20 में फिर परिवर्तित हुए।
महारानी वेब सीरीज का एक डायलॉग था कि नियम और परंपराएं बनाए जाते हैं तोड़ने के लिए। ऐसी डायलॉग का अनुसरण करते हुए वन विभाग के एसीएस वन ने पुनः 5 जून 2020 की पालिसी के अनुसार की 8 अधिकारी को कार्य आयोजना पुनरीक्षण के लिए भेजा जाना चाहिए था परन्तु उन्हें उपयुक्त करने के लिए उनकी सेवा अवधि 5 जून 2020 को 3 वर्ष से अधिक शेष थी और कनिष्ठ अधिकारियों को कार्य आयोजना में पदस्थ कर दिया गया। इस प्रकार 8 अधिकारियो को पुनः पालिसी मेंकरो ने अपनी स्वार्थ सिद्धि कर कार्य आयोजना पालिसी के प्रतिकूल कृत्य कर उपकृत किया गया।
परंपरा थी कि हर अधिकारी वर्किंग प्लान बनाएं..
वन विभाग में विकास कार्यों / वनसुरक्षा एवं सम्बर्धन के लिए 10 वर्षीय कार्य आयोजना बनाने का प्रावधान है। जिसके लिए संभागीय स्तर पर भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों की कार्य आयोजना अधिकारी के पद पर वरिष्ठता क्रम से पदरिथति की जाती है। इन कार्य आयोजना अधिकारियों को वन मुख्यालय से आवंटित वनमण्डलों की कार्य आयोजना अधिकतम 3 वर्ष में पूर्ण करना अनिवार्य होता है।
कार्य आयोजना अनुमोदन के अभाव में केन्द्र शासन द्वारा उपर्युक्त लकड़ी कूप विदोहन की अनुमति नहीं दी जाती है, जिससे शासन को राजस्व की अपरिमित क्षति होती है। इसी कारण पूर्व में कार्य आयोजना में पदस्थिति होने पर ज्वाइन न करने वाले अधिकारियों को दण्डित भी किया गया है, परन्तु शासन स्तर पर वरिष्ठ अधिकारियों ने करोड़ो रूपये का खेलकर समय-समय पर कार्य आयोजना में पदस्थिति करने की नई-नई पालिसी बनाकर अनेको अधिकारियों को उपकृत कर करोड़ो रूपये का लेन देन किया है।
पोस्टिंग के इंतजार में है अफसर..
प्रभार का खेल खेलने के कारण ही वर्किंग प्लान बना चुके आईएफएस अधिकारियों की पोस्टिंग नहीं की जा रही है। दिलचस्प पहलू यह है कि इस मामले में मुख्यालय के अधिकारी बताते हैं कि प्रस्ताव शासन के पास लंबित है। यानी शासन के स्तर पर पोस्टिंग में कोई दिलचस्पी नहीं ली जा रही है।
यही वजह है कि प्रभार का खेल खेलने के लिए मैदान खाली है। धार का वर्किंग प्लान बना चुके आदर्श श्रीवास्तव, जबलपुर में पदस्थ वर्किंग प्लान अधिकारी रमेश विश्वकर्मा, वर्किंग प्लान अधिकारी पीएन मिश्रा, वर्किंग प्लान अधिकारी एचएस मिश्रा जैसे आईएफएस अफसर को अपनी पोस्टिंग का इंतजार है। इनमें से कुछ अधिकारियों की सेवा के 5 महीने बचे हैं तो किसी अफसर के रिटायर होने की साल भर की मियाद बाकी है।