भोपाल:प्रदेश के जंगलों में वहां रह रहे व्यक्तियों को 18 साल पुराने वनाधिकार कानून के लागू रहने की समयावधि तय की जायेगी। फौरी तौर पर यह समयावधि 12 साल बताई जा रही है लेकिन राज्य का जनजातीय कार्य विभाग इसके बारे में स्पष्ट जानकारी राज्यपाल को उपलब्ध करायेगा। दरअसल यह मुद्दा राजभवन में बने जनजातीय प्रकोष्ठ की बैठक में आया है। जिसमें समयावधि बताने के लिये कहा गया है। दरअसल वनाधिकार कानून के तहत वन भूमि के पट्टे देने की कार्यवाही अनिश्चितकाल तक नहीं की जा सकती है।
इसका कारण यह है कि जिस वनाधिकार कानून 2006 को अब 18 साल बीत गये हैं, उसके तहत अभी भी वन भूमि के पट्टे देने के आवेदन लिये जा रहे हैं। कई आवेदन ऐसे हैं जो रद्द होने के बाद किये गये हैं। वनवासी वोट बैंक के कारण हर साल वनाधिकार कानून के तहत पट्टे न मिलने का मामला उठता है तथा राज्य सरकार को पुन: इसके लिये आवेदन लेने एवं उनके निपटारे की प्रक्रिया करना पड़ती है तथा इसमें दबाव भी काफी रहता है।
अब तक इस कानून के तहत पट्टे लेने हेतु कुल 6 लाख 38 हजार 691 दावे आये थे जिनमें से 3 लाख 5 हजार 248 दावे ही मान्य किये गये हैं। इसके बाद 3 लाख 60 हजार 877 निरस्त दावे पुन: परीक्षण में ले लिये गये जिनमें से अभी भी 95 हजार 975 दावों का परीक्षण होना है जबकि 8 हजार 50 दावे ऐसे हैं जो नवीन हैं जिनका निराकरण किया जाना है। अब यदि समयावाधि तय होती है तो फिर इस वनाधिकार कानून के तहत कोई भी आवेदन नहीं लिये जायेंगे। यह कार्य वन भूमि को बचाने के लिये की जायेगी जिससे उसका एक स्थाई स्टेटस उपलब्ध रहे कि अब इसमें कोई पट्टा नहीं दिया जायेगा।